शिमला : स्कूलों में दोपहर का खाना यानी मिड-डे मील तैयार करने वाली कुक-कम-हेल्पर को अब मातृत्व अवकाश (मैटरनिटी लीव) का भी फायदा मिलेगा। हिमाचल सरकार ने इस बारे में निर्देश जारी किए हैं।
शिक्षा विभाग ने कुक महिलाओं को मैटरनिटी बेनीफिट एक्ट 1961 के अनुसार 180 दिन के लिए मेहनताना समेत छुट्टी का प्रावधान लागू किया है। दो अथवा इससे ज्यादा बच्चों वाली कुक को प्रसूता छुट्टी का फायदा नहीं मिल सकेगा।
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं के बच्चों को दोपहर भोजन मिड डे मील तैयार करने व परोसने के लिए करीबन 21 हजार कुक-कम-हेल्पर सेवाएं देती हैं। इन्हें मेहनताना चार हजार रुपए ही दिया जाता है और वो भी सिर्फ दस महीने तक।
ऐसे में कुक को गर्भावस्था के बेहद संजीदा दिनों में भी काम करने की मजबूरी होती है और प्रसव के दिनों में छुट्टी लेने पर वेतन में कटौती होती रही है।
देशभर में मिड डे मील का प्रावधान 2005 में लाया गया, उस दौरान आंगनबाड़ी सेंटरों में खाना तैयार किया जाता रहा जबकि 2007 से स्कूलों की किचन में खाना तैयार करने का नियम बनाकर कुक-कम-हेल्पर को यह जिम्मेदारी सौंपी गई। मिड-डे मील कुक की ओर से मेहनताना समेत प्रसूता छुट्टी की मांग पिछले कई सालों से की जा रही है।
मेडिकल के साथ करना होगा आवेदन
डिलीवरी के लिए 180 दिन की वेतन सहित छुट्टी का फायदा लेने के लिए कुक को अपना मेडिकल सर्टिफिकेट के साथ स्कूल हैड के जरिए डीईओ एलिमेंटरी को देना होगा, जहां से इसकी मंजूरी के लिए मुख्य दफ्तर पर भेजा जाएगा।
वहीं प्रसूता छुट्टी पर जाने वाली कुक के बाद स्कूल में उपलब्ध अन्य कुक-कम-हेल्पर की गिनती दर्ज करनी होगी। इसके अलावा मेडिकल सर्टिफिकेट साथ लगाना होगा।