प्रदेश के राशन डिपुओं में अब प्राकृतिक तरीके से उगाई गई मक्की का आटा भी मिलेगा। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग एक और पांच किलो की पैकिंग में इस आटे को अपने राशन डिपुओं के माध्यम से जनता तक पहुंचाएंगी।
सस्ते दामों पर खाद्य सामग्री मुहैया करवाने वाला यह महकमा पहली बार मक्की के आटे को सेल करने की तैयारी कर रहा है।
किसानों द्वारा बिना अंग्रेजी खाद के तैयार की गई प्राकृतिक खेती से तैयार इस आटे का भाव 80 रुपए तय किया गया है। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग पहले चरण में मक्की का आटा जिला कांगड़ा के कुछ चुनिंदा डिपो में बेचने वाला है।
योजना के तहत सरकार पहली बार किसानों से प्राकृतिक खेती से तैयार मक्की की फसल को 30 रुपए प्रति किलो के हिसाब से खरीद रही है। विभाग ने फ्लोर मिलों से मक्की की पिसाई करवा ली है, जल्द ही उचित मूल्यों की दुकानों में बेचने के लिए उपलब्ध होगा।
राज्य में 3218 किसान चयनित
प्रदेश भर में प्राकृतिक खेती करने वाले 3,218 प्रमाणित किसान चयनित किए हैं। इस साल लाहुल-स्पीति और किन्नौर के अलावा अन्य दस जिलों में प्राकृतिक खेती से 13.304 हेक्टेयर भूमि पर 27,768 मीट्रिक टन मक्की तैयार की गई है।
इसमें से 508 मीट्रिक टन अतिरिक्त मक्की सरकार किसानों से खरीदेगी। इस सीजन में 92,516 किसानों ने प्राकृतिक खेती से मक्की की फसल तैयार की है, जिसमें खरीद के लिए विभाग ने 3,218 किसान चयनित किए हैं।
80 रुपए किलो मिलेगा आटा
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के जिला नियंत्रक पुरुषोत्तम सिंह का कहना है कि डिपुओं में पहली बार उपभोक्ताओं को प्राकृतिक खेती से तैयार की गई मक्की का आटा दिया जाएगा।
यह आटा एक और पांच किलो की पैकिंग में होगा और इसका मूल्य 80 रुपए प्रति किलो तय किया है। अगले माह से डिपुओं में मक्की के आटे की बिक्री शुरू करने की योजना है।