शिमला : राज्य के सरकारी स्कूलों में अब संस्कृत और हिंदी विषय में एलटी और शास्त्री का टेट भी मान्य होगा और इसी आधार पर इन शिक्षकों को टीजीटी पदनाम मिलेगा।
दरअसल कई जिलों में इस बारे में असमंजस की स्थिति बनी हुई थी कि यदि टीजीटी का पदनाम चाहिए तो टीजीटी का ही टेट होना अनिवार्य है लेकिन अब प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने इस बारे में स्पष्ट आदेश जारी किए हैं।
इन आदेशों में कहा गया है कि टीजीटी पदनाम के लिए शास्त्री और एलटी अभ्यर्थी जिनके पास टेट और बीएड की योग्यता है उन्हें यह पदनाम दिया जाएगा। यानी टीजीटी पदनाम के लिए विषय अलग होंगे लेकिन टेट की मान्यता संबंधित सब्जेक्ट की ही होगी।
गौर रहेगी राज्य के सरकारी स्कूलों में सभी एलटी, शास्त्री और संस्कृत शिक्षकों को टीजीटी पदनाम देने की घोषणा बीजेपी सरकार में हो चुकी थी लेकिन उन्हें यह पदनाम किस आधार पर मिले इस बारे में स्पष्ट आदेश नहीं थे।
इसके लिए टेट किस विषय का माना जाए इस बारे में भी निर्देश जारी नहीं किए गए थे। लेकिन अब प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने इस बारे में साफ आदेश जारी किए हैं कि अपने सब्जेक्ट में यदि टेट क्लियर किया है तो उसे टीजीटी का पदनाम दिया जाएगा।
इसके साथ ही पदनाम के साथ हालांकि अभी शिक्षकों को वित्तीय लाभ देने की अधिसूचना जारी नहीं हुई है। ऐसा पूर्व सरकार में भी सामने आया था कि यह टीजीटी पदनाम पाने वाले शिक्षक पदनाम के साथ वित्तीय लाभ की भी मांग कर रहे थे,
लेकिन उन्हें अभी तक यह लाभ नहीं मिल पाए हैं। ऐसे में सभी अध्यापकों ने अब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को पहली मार्च को ज्ञापन देने का फैसला किया है ताकि उन्हें पदनाम के साथ सभी प्रकार के वित्तीय लाभ सरकार प्रदान करें।