हर वर्ष भोलेनाथ के भक्तों को श्रावण मास यानी सावन महीना का बेसब्री से इंतजार रहता है। सावन का महीना भगवान शिव को सबसे ज्यादा प्रिय है तथा सावन के महीने का हर दिन, विशेष रूप से सावन के सभी सोमवार को भगवान शिव की पूजा-उपासना करने से जीवन की हर समस्या का निवारण मिलता है।
साथ ही, सावन में महादेव के नाम का जप करने से भी जीवन में शांति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इस महीने में भगवान शिव अपने हर भक्त की सभी तरह की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।
जवाली के ज्योतिषी पंडित विपन शर्मा ने बताया कि सावन माह की शुरुआत 11 जुलाई दिन शुक्रवार से हो चुकी है तथा इसका समापन 9 अगस्त रक्षाबंधन के दिन को होगा। सावन माह का पहला सोमवार 14 जुलाई को है तथा सावन माह के पहले सोमवार को पूजा अर्चना के लिए भगतजन तैयारियों में जुट गए हैं।
अगर आप पूरे महीने शिव भक्ति नहीं कर सकते तो सावन सोमवार के दिन शिव उपासना से भी भोले को प्रसन्न कर सकते हैं। इस दिन गजानन संकष्टी चतुर्थी का संयोग भी रहेगा।
इस दिन आयुष्मान् योग शाम 04:14 बजे तक रहेगा जिसके बाद सौभाग्य योग मान्य होगा। सुबह 06:49 बजे तक धनिष्ठा नक्षत्र, जिसके बाद शतभिषा नक्षत्र लग जाएगा। धार्मिक दृष्टि से ये योग व नक्षत्र शुभ माने जाते हैं।
विजय मुहूर्त: 2:45 बजे से 3:40बजे तक।
गोधूलि मुहूर्त: 7:20 बजे से 7:40 बजे तक।
अमृत काल: 11:21 बजे से 12:55 बजे तक।
सावन के सभी सोमवारों की तिथि:
इस बार सावन माह में 4 सोमवार पड़ रहे हैं-
- सावन का पहला सोमवार- 14 जुलाई 2025
- सावन का दूसरा सोमवार- 21 जुलाई 2025
- सावन का तीसरा सोमवार- 28 जुलाई 2025
- सावन का चौथा सोमवार- 4 अगस्त 2025
सावन महीने का महत्व:
सावन का महीना चातुर्मास में एक माना जाता है और यह महीना भगवान शिव का माना जाता है। पौराणिक मान्यतानुसार कहते हैं कि इसी महीने में समुद्र मंथन हुआ था और समुद्र मंथन से जो विष निकला, उसका भगवान शिव ने हलाहल विष का पान किया था।
तब से ये परंपरा चली आ रही है कि सावन में भगवान शिव को जल चढ़ाया जाता है। सारे साल का फल भक्त सावन में पूजा करके पा सकते हैं। तपस्या, साधना और वरदान प्राप्ति के लिए ये महीना विशेष शुभ है।
पूजा विधि:
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद संभव हो तो अपने घर के पास किसी शिव मंदिर में जाएं। शिवलिंग को गंगाजल से स्नान कराएं। इसके बाद शहद, दही, घी, दूध और गन्ने का रस समेत पंचामृत से भोले बाबा का अभिषेक करें।
इसके बाद प्रभु पर सफेद चंदन, सफेद फूल, भांग, धतूरा, फल और तिल चढ़ाएं। फिर भगवान गणेश, माता पार्वती, भगवान कार्तिकेय और नंदी महाराज को प्रसाद और फूल अर्पित करें।
इसके बाद प्रभु की आरती उतारें। साथ ही ऊं नम: शिवाय या श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का जप करें। अंत में भगवान शिव को घर की बनी खीर का भोग भी लगा सकते हैं।