शिमला: मिशन मून की सफलता में हिमाचल का बहुत बड़ा योगदान रहा है। चंद्रमा पर चंद्रयान की चकाचौंध के बीच हिमाचली सितारे ने अपनी खास चमक छोड़ी है।
बैजनाथ के सकड़ी गांव के रजत अवस्थी इसरो की मुख्य टीम का हिस्सा हैं और चंद्रयान की लांचिंग से लैंडिंग तक की भूमिका में शामिल रहे। रजत इस समय इसरो में साइंटिस्ट के पद पर हैं।
रजत के पिता धनीराम अवस्थी प्रदेश सरकार में बीडीओ के पद से रिटायर हैं और इस समय धर्मशाला के सिद्धबाड़ी में रहते हैं। रजत की प्रारंभिक शिक्षा सेके्रट हार्ट स्कूल धर्मशाला से हुई और जमा दो की पढ़ाई दिल्ली से।
इसके बाद जेईई मेन्स में अभूतपूर्व सफलता के बाद उनका चयन इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ स्पेश टेक्नोलॉजी बंगलुरु के लिए हुआ। वहां से इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद उनका चयन इसरो में हुआ। (एचडीएम)
चंद्रयान-3 मिशन को सफल बनाने में कांगड़ा के यंग साइंटिस्ट डा. अनुज चौधरी का भी अहम योगदान रहा है। इसरो में सेवाएं प्रदान करते हुए डा. अनुज ने मिशन के दौरान मुख्य कंट्रोल रूम में भूमिका निभाई है।
डा. अनुज चौधरी जिला कांगड़ा के जंदराह (बाबा बड़ोह) के रहने वाले हैं। 27 साल के डा. अनुज की पहली से लेकर आठवीं तक पढ़ाई सरकारी मिडल स्कूल जंदराह में हुई है, जबकि मैट्रिक बाबा बड़ोह में करने के बाद 12वीं की परीक्षा ग्रीन फील्ड स्कूल नगरोटा बगवां से पास की।
बचपन से ही अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनने का सपना लिए अनुज ने मास्टर आफ साइंस की डिग्री स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से की, जबकि पेनसिलेवेनिया विश्वविद्यालय से एमबीए किया।
अनुज अपनी लगन तथा मेहनत के बलबूते अमरीका में एमआईटी से पीएचडी पूरी कर चुके हैं। अंतरिक्ष शोध की भूख के चलते उन्होंने यूरोपियन स्पेस एजेंसी में सिलेक्शन के लिए एग्जाम दिया था।
अनुज ने इस एजेंसी में 12वें रैंक के साथ अपनी जगह पक्की की थी। वहीं उन्होंने नासा में भी अपनी सेवाएं प्रदान की हैं। इसके बाद अब इसरो में अहम भूमिका निभाकर विश्व भर में भारत देश का नाम रोशन किया है। (एचडीएम)