जोगिन्दरनगर : जोगिन्दरनगर विधानसभा क्षेत्र में स्थित विद्युत शानन परियोजना को सरकार हिमाचल के नाम करवाएगी। वहीं, 2024 में पंजाब के साथ समझौता खत्म होने के बाद इस प्रक्रिया पर कार्य शुरू कर दिया जाएगा। सदन में ऊर्जा मंत्री ने यह ऐलान किया। विधायक प्रकाश राणा के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस परियोजना को हिमाचल के नाम करने के लिए के लिए अगर अब कोर्ट का रास्ता भी अपनानना पड़े, तो सरकार पीछे नहीं हटेगी।
सदन में उन्होंने कहा कि समय-समय पर प्रदेश सरकार ने शानन जल विद्युत परियोजना को अपने अधीन लेने के लिए काफी प्रयास किए हैं। हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने सर्वसम्मत संकल्प 27-03-1981 को अपनाया था व प्रदेश सरकार ने शानन जलविद्युत परियोजना को हिमाचल प्रदेश को वापस करने के लिए केंद्र सरकार के साथ पत्राचार भी किया था, लेकिन केंद्र सरकार ने साफ किया कि 17 अप्रैल, 1967 की बैठक में लिए गए निर्णय, जो कि केंद्र सरकार के पत्र पहली मई, 1967 द्वारा सूचित किए गए, को केंद्र की तरफ से बदला नहीं जाएगा।
मंत्री ने बताया कि हिमाचल प्रदेश सरकार हर मंच पर इस मामले को उठाते आई है, क्योंकि यह क्षेत्र हिमाचल का भौगोलिक क्षेत्र है। केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय की उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की 23वीं बैठक, जो 2005 में थी, उस बैठक में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने शानन जलविद्युत परियोजना को हिमाचल प्रदेश को देने का मामला केंद्र सरकार व पंजाब के साथ उठाया था, लेकिन उत्तरी क्षेत्रीय परिषद ने यह मामला केंद्र सरकार विद्युत मंत्रालय को भेजा व केंद्र सरकार के विद्युत मंत्रालय ने अपना जवाब दोहराते हुए बताया कि पहली मई, 1967 द्वारा सूचित किए गए निर्णय को केंद्र की तरफ से बदला नहीं जाएगा।
मंत्री ने कहा कि विधि राय के अनुसार मंडी दरबार समझौता तीन मार्च, 1925, संविधान के अनुच्छेद 363 को अनुच्छेद 131 के साथ पढ़ा जाए तो यह देश के उच्चतम न्यायालय को मामले में दखल देने से रोकता है। जलशक्ति मंत्री ने कहा कि समझौते की समय सीमा मार्च, 2024 में पूरी हो रही है, इसलिए प्रदेश सरकार हर वह उचित पग उठाएगी, जिससे प्रदेश का शानन विद्युत परियोजना पर अधिकार हो।
एक सवाल के जवाब में महेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि तीन मार्च, 1925 का समझौता, 1935 के पहले अनुपूरक समझौते व 1965 के दूसरे अनुपूरक समझौते के अनुसार हिमाचल प्रदेश सरकार को इस परियोजना से 500 किलोवाट मुफ्त बिजली व अधिकतम विद्युत उत्पादन पर वर्ष में एक बार 3.50 प्रति किलोवाट की दर से रॉयल्टी मिलती है।