नेशनल हाई-वे की बड़ी परियोजनाओं में रेलवे फाटक लग गया है। रेलवे से क्लीयरेंस में लगातार देरी की वजह से नेशनल हाईवे को फोरलेन में बदलने का काम फंस रहा है।
एनएचएआई ने जिन बड़े प्रोजेक्ट को जनवरी में शुरू करने और 2026 में पूरा करने की तैयारी की थी, उनमें अब करीब एक महीने की देरी हो चुकी है। सबसे बड़ी अड़चन पठानकोट-मंडी, शिमला-मटौर और कालका-शिमला नेशनल हाई-वे पर आ रही है।
इन दोनों के करीब चार प्रोजेक्ट एनएचएआई ने फोरलेन के लिए प्रस्तावित किए हैं। इनमें से तीन पठानकोट-मंडी में हैं, जबकि एक कालका-शिमला नेशनल हाईवे के आखिरी हिस्से का है।
इस प्रोजेक्ट में कैंथलीघाट से ढली तक फोरलेन का निर्माण होना है। हाल ही में केंद्र सरकार के वन और पर्यावरण विभाग ने नेशनल हाई-वे के प्रोजेक्ट की फाइलें वापस लौटा दी हैं और इनमें जरूरी सुधार करने के निर्देश जारी किए हैं।
इसे देखते हुए अब नेशनल हाई-वे दोबारा से इन फाइलों को सुधार के साथ मंजूरी के लिए भेजने की तैयारी कर रहा है। हालांकि भूमि अधिग्रहण के अलावा सबसे बड़ी अड़चन रेलवे की मंजूरी को लेकर है।
कैंथलीघाट में रेलवे ट्रैक नेशनल हाईवे के पास से गुजर रहा है, जबकि पठानकोट-मंडी नेशनल हाईवे के बहुत बड़े हिस्से पर रेलवे की लाइन बार-बार आ रही है और इस वजह से फोरलेन का काम अटक रहा है।
उधर, वन विभाग के प्रधान मुख्य अरण्यपाल अजय श्रीवास्तव ने बताया कि वन विभाग के पास नेशनल हाई-वे की जो भी फाइलें पहुंची थीं, उन्हें केंद्रीय पर्यावरण और वन विभाग के पास भेज दिया है।
फोरेस्ट क्लीयरेंस को लेकर फाइलों का आना नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है। अंतिम मंजूरी केंद्र सरकार के माध्यम से ही आएगी।
एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी अब्दुल बासित ने बताया कि नेशनल हाईवे को फोरलेन में बदलने का काम जारी है। दस्तावेज विभाग और सरकार को भेजे गए हैं। मंजूरी मिलते ही काम शुरू हो जाएंगे। (एचडीएम)
हिमाचल में पांच नेशनल हाई-वे पर चल रहा काम
प्रदेश में कालका-शिमला नेशनल हाईवे के कैंथलीघाट से ढली तक के हिस्से के साथ ही शिमला-मटौर, पठानकोट-मंडी, कीरतपुर -मनाली और पिंजौर-नालागढ़ नेशनल हाईवे को फोरलेन में बदलने का काम चल रहा है।
इनमें से कीरतपुर-मनाली और पिंजौर-नालागढ़ नेशनल हाईवे के निर्माण में एनएचएआई को ज्यादा दिक्कत पेश नहीं आ रही है, जबकि शिमला-मटौर, पठानकोट-मंडी और कैंथलीघाट-ढली के बीच होने वाला निर्माण फंस रहा है।
करीब आठ प्रोजेक्ट की फाइलें फोरेस्ट क्लीयरेंस में लगी हैं, लेकिन आपत्तियां दर्ज करने के बाद पर्यावरण और वन विभाग ने इन फाइलों को वापस भेज दिया।
सर्वाेच्च न्यायालय जाने की जरूरत नहीं
माना जा रहा है कि यदि प्रदेश में बनने जा रहे फोरलेन प्रोजेक्ट को पर्यावरण और वन विभाग की मंजूरी मिल जाती है, तो काम शुरू हो जाएगा। दरअसल, एनएचएआई को बड़ी राहत सुप्रीम कोर्ट से मिल चुकी है।
हिमाचल के तमाम बड़े प्रोजेक्ट, जिनमें एनएचएआई काम कर रहा है, उन्हें सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने यह बड़ी राहत एनएचएआई की याचिका पर पिछले साल दी थी।
एनएचएआई ने प्रोजेक्ट में देरी का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से राहत के लिए याचिका दायर की थी। सर्वाेच्च न्यायालय ने इस पर मंजूरी दे दी है।