हिमाचल प्रदेश में लगातार बारिश का क्रम ज़ारी है जिस कारण जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। मंडी जिला में कई जगह बादल फटने व भूस्खलन की घटनाएँ हुई हैं जिस कारण लोगों को काफी नुक्सान हुआ है। समूचे जोगिन्दरनगर क्षेत्र में भी लगातार बारिश हो रही है जिससे क्षेत्र की सभी खड्ड व नाले उफान पर हैं। वहीँ भारी बारिश के चलते 1 जुलाई को भी जिला मंडी में सरकारी व निजी स्कूलों में अवकाश की घोषणा की गई है।

जिला मंडी के धर्मपुर क्षेत्र में एक बार बारिश ने अपना रौद्र रूप दिखाया है कई जगह भूस्खलन की घटनाएँ हुई हैं। बस स्टैंड के साथ दुकानों में भी पानी भर गया है व कई गाँव भूस्खलन की चपेट में आ गए हैं।
वहीँ तुलाह में भी भूस्खलन की घटनाओं से गाड़ियों को नुस्कान पहुंचा है।
वहीँ मौसम विभाग की माने तो मंगलवार को तीन जिलों कांगड़ा, मंडी व सिरमौर में बाढ़ का यैलो अलर्ट जारी किया गया है। हालांकि मौसम विभाग के अनुसार 6 जुलाई को कहीं-कहीं भारी बारिश का यैलो अलर्ट जारी किया गया है, जबकि ऑरैंज व रैड अलर्ट नहीं रहेगा।
राजधानी शिमला तो धुंध के आवरण से घिर गई है और सोमवार को यहां 3, सुंदरनगर में 1, कल्पा में 0.8, धर्मशाला में 4, नाहन में 8.6, सोलन में 2, कांगड़ा में 9, मंडी में 25, बिलासपुर में 1.5, जुब्बड़हट्टी में 3.2, कुफरी में 7, नारकंडा में 5.5, सेओबाग में 1, धौलाकुंआ में 1, नेरी में 0.5 मिलीमीटर वर्षा, जबकि मनाली में बूंदाबांदी हुई है।
मंडी जिला में चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे पर कैंची मोड़ के पास रातभर भूस्खलन होता रहा, जिससे यातायात प्रभावित है। वाहनों को वैकल्पिक मार्गों से भेजा जा रहा है।
बग्गी सुरंग में सिल्ट अधिक होने के कारण डैहर पावर हाउस में विद्युत उत्पादन भी ठप हो गया है। प्रदेश सरकार ने भूस्खलन और भारी वर्षा के चलते कांगड़ा, मंडी, सिरमौर और कुल्लू जिला के बंजार व मनाली उपमंडल में आज सभी शिक्षण संस्थानों में अवकाश घोषित किया है।

हिमाचल में जून महीने के छिटपुट से लेकर व्यापक वर्षा हुई है और राज्य में 1901 के बाद से 21वीं सबसे अधिक वर्षा 135 मिलीमीटर हुई है और जून महीने में सबसे अधिक वर्षा वर्ष 1971 में 252.7 मिलीमीटर रिकार्ड की गई थी।
3 जून को चंबा और 3 व 5 जून, को शिमला जिला में छिटपुट ओलावृष्टि दर्ज की गई। ऐसे में पिछले दो दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है।
पहाड़ दरक रहे है, मकान जमींदोज हो रहे है, नदियां उफान पर है और बादल फटने की घटनाओं से लोग दहशत में दिन बिता रहे है।
शिमला जिले के रामपुर क्षेत्र के सरपारा व गानवी इलाकों में बादल फटने की घटनाएं हुई है, जिसमें मवेशी बह गए है, जबकि शिमला के भट्टाकुफर क्षेत्र के माठू कालोनी में 5 मंजिला भवन जमींदोज हो गया है।
भारी बारिश के कारण सिरमौर जिला के गिरी जाटों डैम और मंडी जिला के पंडोह डैम से पानी छोड़ा गया है, जिससे गिरि और ब्यास नदियों का जलस्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है।
राहत की बात यह है कि राज्य में कोई भी नेशनल हाईवे बंद नहीं है। लोक निर्माण विभाग ने सोमवार को 14 बंद सड़कों को यातायात के लिए खोल दिया है, जबकि 354 बिजली ट्रांसफार्मर भी दुरूस्त किए है।
राज्य में बंद चल रही 239 सड़कों को खोलने के लिए मशीनरी व लेबर लगा दी है और अधिकांश सड़कों को मंगलवार तक बहाल कर दिया जाएगा। सबसे अधिक सड़कें 139 जिला मंडी व सिरमौर में 92 बंद पड़ी हुई है।