कोटखाई गुड़िया गैंगरेप हत्याकांड में सनसनीखेज मोड़ आया है। सीबीआई ने मामले में पुलिस के आईजी जहूर जैदी समेत आठ पुलिस अफसरों और कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है। डीएसपी मनोज जोशी को भी गिरफ्तार किया गया है।
आईजी और डीएसपी के अलावा कोटखाई पुलिस थाना के तत्कालीन एसएचओ राजेंद्र सिंह, एएसआई दीप चंद शर्मा, हेड कॉन्स्टेबल सूरत सिंह, मोहन लाल, रफीक अली और कॉन्स्टेबल रंजीत सिंह को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि कोटखाई थाना में हुई नेपाली मूल के आरोपी सूरज हत्या के मामले में यह कार्यवाही की गयी है।
इन सभी पर गुड़िया गैंगरेप हत्याकांड के असली आरोपियों को बचाने का आरोप है। सीबीआई की इस कार्रवाई से पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है।
वहीं इस मामले में अभी और कई खुलासे हो सकते हैं। कोटखाई गुड़िया गैंगरेप हत्याकांड में पहले कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था लेकिन बाद में इन्हें छोड़ दिया गया था।
पुलिस ने इस मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया था जिनमें से एक आरोपी सूरज की लॉकअप में हत्या कर दी गई थी।
आईजी जहूर जैदी ने आनन-फानन में प्रेस वार्ता की जिसमें आधे-अधूरे तथ्य पेश किए किये थे। रेप कहां हुआ, हत्या कैसे हुई इस बात की भी जानकारी नहीं दी गई। रेप कितने लोगों ने किया, इस बारे में भी पुलिस ने कुछ नहीं बताया। इसके अलावा क्या रेप जंगल में किया गया या कहीं दूसरी जगह इस बारे में भी कोई जानकारी नहीं दी गयी थी.
सूत्रों के मुताबिक सूरज सरकारी गवाह बनने को तैयार हो गया था ऐसे में उसकी हत्या से भी कई सवाल अधूरे रह गए जिनका पुलिस के पास कोई जबाव नहीं था।
स्थानीय निवासी शुरू से ही आरोप लगाते रहे हैं कि पुलिस ने असली गुनाहगारों को उनके रसूख के चलते छोड़ दिया और कुछ नेपाली और इधर-उधर के मजदूर टाइप के लोगों को हिरासत में ले लिया. इनमें से एक आरोपी सूरज की पुलिस हिरासत में हत्या हो गयी थी और इस हत्या का आरोप एक अन्य आरोपी राजू पर लगाया गया.
जब सूरज की हत्या के बारे में पुलिस के संतरी ने बयान दिया कि जेल में उसके सामने रेप के एक आरोपी सूरज की हत्या नहीं हुई जबकि पुलिस की थ्योरी कहती है कि राजेंद्र उर्फ राजू ने सूरज को लॉकअप में मार डाला।