हिमाचल प्रदेश के शिक्षा विभाग में जेबीटी की कमीशन और बैचवाइज आधार पर भर्तियों को शुरू करने की मांग एक बार फिर उठी है। इस बारे में जेबीटी का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री सुक्खविंदर सिंह सुक्खू से मिला और इन भर्तियों को शुरू करने की मांग उठाई।
दअसल नई सरकार ने सत्ता में आते ही सभी विभागों में पिछले छह माह के फैसले रिव्यू करने की बात कही थी, जिसके लिए भर्ती का यह प्रोसेस भी रुक गया था। इन भर्तियों के लिए अब नई सरकार की कैबिनेट से मंजूरी लेनी होगी।
जेबीटी बैचवाइज भर्ती के प्रोसेस को भी अभ्यर्थियों की काफी मशक्कत के बाद शुरू किया गया था। कमीशन आधार पर तो अभी जेबीटी और बीएड का झगड़ा चल रहा है और यह मामला कोर्ट में है, क्योंकि एचपी बोर्ड ने टेट परीक्षा के लिए बीएड को भी पात्र करार दिया था, लेकिन इस विवाद के उठने से पहले अभ्यर्थियों की ही डिमांड पर बैचवाइज भर्तियों का प्रोसेस जिलावार शुरू कर दिया गया था, लेकिन अब भर्तियों का यह प्रोसेस रुका हुआ है।
पिछले चार साल स्कूलों में जेबीटी की भर्तियां नहीं हो सकी हैं और अब नई सरकार जब कैबिनेट का गठन करेगी, उसके बाद ही यह तय हो पाएगा कि ये भर्तियां कब होंगी। प्रदेश के स्कूलों में चार साल से प्री-प्राइमरी और प्राइमरी के बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं हैं।
इसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। पूरे प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में जेबीटी यानी जूनियर बेसिक टीचर के 3495 पद खाली हैं। ऐसे में ये स्कूल बिना प्राइमरी शिक्षकों के चल रहे हैं।
चार सालों से लगातार स्कूलों में खाली पदों को भरने की मांग की जा रही है, लेकिन अभी तक इन पदों को नहीं भरा गया है। इसमें सबसे ज्यादा पद जिला कांगड़ा में खाली हैं। यहां पर 647 पदों पर रिक्तियां चल रही हैं।
इसके साथ ही मंडी खाली पदों में दूसरे स्थान पर है। कमीशन के आधार पर जेबीटी की भर्तियों में भी यह अभी देखा जाना है कि बीएड वालों को अनुमति मिलती है या नहीं।