फोरेस्ट क्लीयरेंस में फंसे सात हजार करोड़ रुपए के नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट पर आज मुहर लग सकती है। वन और पर्यावरण विभाग को इन प्रोजेक्ट की जांच करनी है।
फोरेस्ट क्लीयरेंस पर फरवरी महीने की बैठक मंगलवार को प्रस्तावित है। इस बैठक में नेशनल हाई-वे के सात प्रोजेक्ट समेत अन्य विकास कार्यों पर चर्चा होगी।
जनवरी की बैठक में नेशनल हाई-वे के प्रोजेक्ट को बिना चर्चा के ही वापस लौटा दिया गया था। इन प्रोजेक्ट में जरूरी सुधार के सुझाव भी दिए गए थे।
इसके बाद एनएचएआई ने इन प्रोजेक्ट में आवश्यक सुधार पूरे करने के बाद फाइलों को दोबारा मंजूरी के लिए भेजा है। फोरेस्ट क्लीयरेंस न मिलने की वजह से फोरलेन के इन सात प्रोजेक्ट में अभी तक करीब डेढ़ माह की देरी हो चुकी है।
दरअसल नेशनल हाईवे पर फोरलेन के सात प्रोजेक्ट हैं और इनका निर्माण 7000 करोड़ रुपए में पूरा होना है। फिलहाल सात हजार करोड़ के इन प्रोजेक्ट की फाइलें पर्यावरण और वन विभाग से राजस्व अधिकारियों के कार्यालय में धूल फांक रही हैं।
इसका खुलासा मुख्यमंत्री के साथ हुई एनएचएआई की समीक्षा में हुआ है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिहं सुक्खू ने नेशनल हाई-वे में देरी पर एनएचएआई से सवाल किए हैं और इन सवालों के जवाब में एनएचएआई ने राज्य सरकार के सामने प्रोजेक्ट में देरी की वजह का खुलासा किया है।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू इन मामलों को जल्द निपटाने की बात कह चुके है। उधर, एनएचएआई के परियोजना अधिकारी अब्दुल बासित ने बताया कि मंगलवार को होने वाली मीटिंग से उन्हें बड़ी उम्मीदें हैं।
इस मीटिंग में नेशनल हाई-वे के सात प्रोजेक्ट मंजूरी को लगे हैं। इन प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलती है, तो एनएचएआई भविष्य में काम शुरू कर सकता है।
मंजूरी मिलने के बाद होगा काम
एनएचएआई के आरओ अब्दुल बासित ने बताया कि मंगलवार को फोरेस्ट क्लीयरेंस पर बड़ी उम्मीद है। 21 फरवरी को प्रस्तावित बैठक में प्रदेश के दूसरे बड़े प्रोजेक्ट के साथ ही नेशनल हाईवे के सात प्रोजेक्ट की फाइल भी चर्चा में आएगी। इन फाइलों पर मुहर लगती है, तो निर्माण कार्य तेजी से शुरू हो सकेगा।