प्रकृति ने कई पेड़ पौधों को औषधीय गुणों से भरपूर रखा है. इन्हीं में से एक कचनार {जिला मंडी में स्थानीय नाम “कराले” है} का पेड़ भी है जो हिमाचल में निचले क्षेत्र में अधिकतर जगह में पाया जाता है. मार्च मध्य के बाद फूलों से लदने वाले इस पेड़ की पत्तियां, तना व फूल आदि सभी उपयोगी हैं. कचनार की गणना सुंदर व उपयोगी वृक्षों में होती है. इसकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं. इनमें से गुलाबी कचनार का सबसे ज्यादा महत्व है. कचनार के फूलों की कली लंबी, हरी व गुलाबी रंगत लिए हुए होती है. आयुर्वेद में इस वृक्ष को चामत्कारिक और औषधीय गुणों से भरपूर बताया गया है. कचनार के फूल और कलियां वात रोग,जोड़ों के दर्द के लिए विशेष लाभकारी हैं. इसकी कलियों की सब्जी व फूलों का रायता खाने में स्वादिष्ट और रक्त पित्त, फोड़े, फुंसियों को शांत करता है.
ऐसे बनाएं सब्जी
कचनार की कलियों और फूलों की सब्जी बनाने की विधि एक समान है. शुरू -शुरू में आपको कचनार के पेड़ में कलियाँ मिल जायेंगी और कुछ दिन बाद उसके फूलों की सब्जी भी आप बना सकते हो. सबसे पहले कचनार की कली या फूलों को साफ कर लें , कलियों की मोटी डंडिया और फूलों के अंदर की डंडी तोड़ कर अलग कर दीजिये, इन कलियों या फूलों को अच्छी तरह 2-3 बार साफ पानी से धो लीजिये.
थोड़ी देर के लिए उबालें
एक बरतन में इतना पानी डालकर कचनार की कलियों और फूलों को उबालने के लिए रखिये कि ये कलियां और फूल आसानी से पानी में डूब जाएँ, पानी में आधा छोटी चम्मच नमक भी डाल दीजिये. पानी को थोड़ी देर उबालने के बाद कचनार की कली और फूलों को पानी में डालिये और फिर से उबाल आने के बाद 3 -4 मिनिट तक उबलने दीजिये. पानी छान कर अलग कर दीजिये और कलियों और फूलों को ठंडा होने दीजिये.
बिना पीसे
कचनार के कलियों और फूलों की सब्जी इन्हें बिना पीसे और पीसे बनाई जाती है. यह आप अपने जायके के अनुसार तय कर लें. अगर आप इन्हें पीसना नहीं चाहते हैं तो बिना पीसे ही स्वाद के अनुसार इसमें मसाला तैयार करके मिलाएं. और हाँ अगर आप इसे कद्दूकस करके भी बनायेंगे तो भी गजब का स्वाद होगा.उसके बाद उसमें राई का पाउडर इसमें डालें. कचनार की रेसिपी बनकर तैयार है. आप इसके परांठे भी बना सकते हो. अब कचनार की कलियों की सब्जी खाने का आनंद लें.
पीसकर
अगर आप कचनार की कलियों या फूलों की पीस कर सब्जी बनाना चाहते हैं तो इन उबाली हुई कलियों या फूलों को बारीक पीस लें. आप इसे पीसने या कद्दूकस करने के बाद इसमें मसाला मिलाने के बाद आंच में थोड़ी देर के लिए पकाएं .बाद में इसके ठंडा होने पर राई पाउडर डालें और उसके बाद इसमें दही या लस्सी मिलाने के बाद थोड़ी देर के लिए कम आंच पर रखें तो इसका स्वाद और बढ़ जाता है.
कचनार के गुण –
-
कचनार के फूल थायराइड की सबसे अच्छी दवा हैं.
-
गले में गांठें हो गई हों तो कचनार की छाल को चावल के धोवन में पीसिए, उसमें आधा चम्मच सौंफ का पाउडर मिलाकर खा लीजिए.
-
बवासीर में कचनार की कलियों के पाउडर को मक्खन और शक्कर मिलकर 11 दिन खाएं. आंतों में कीड़े हों तो कचनार की छाल का काढ़ा पिएं.
-
लिवर में कोई तकलीफ हो तो कचनार की जड़ का काढ़ा पिएं.
-
गले की कोई भी ग्रंथि बढ़ जाने पर कचनार के फूल या छाल का चूर्ण चावलों के धोवन में पीस कर उसमे सोंठ मिलाकर लेप भी किया जा सकता है और पिया भी जा सकता है.
-
कचनार की टहनियों की राख से मंजन करेंगे तो दांतों में दर्द कभी नहीं होगा, अगर हो रहा होगा तो खत्म हो जाएगा.
-
खून शुद्ध करने के लिए कचनार की कलियों का काढ़ा पी सकते हैं.
-
मुंह में छाले होने पर कचनार की छाल का काढ़ा बनाकर उसमें थोड़ा सा कत्था मिलाकर छालों पर लगाने से आराम मिलता है.
-
पेट में गैस होने पर कचनार की छाल का काढ़ा बनाकर, इसके 20 मिलीलीटर काढ़ा में आधा चम्मच पिसी हुई अजवायन मिलाकर प्रयोग करने से लाभ मिलता है.
-
सुबह-शाम भोजन करने बाद इसका सेवन करने से पेट फूलना व गैस की तकलीफ दूर होती है.
-
जीभ व त्वचा के सुन्न होने पर कचनार की छाल का चूर्ण बनाकर 2 से 4 ग्राम की मात्रा में खाने से इस रोग में लाभ होता है.