हिमाचल प्रदेश में एक अप्रैल से महंगी बिजली का झटका लग सकता है। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बिजली बोर्ड को 500 करोड़ रुपये का ही उपदान मिला है। कांग्रेस सरकार ने उपदान में कोई बढ़ोतरी नहीं की है। ऐसे में एक अप्रैल से बिजली की दरें बढ़ने की संभावना बन गई है।
बिजली बोर्ड ने 90 पैसे प्रति यूनिट की दर से दरों में बढ़ोतरी करने का विद्युत विनियामक आयोग को प्रस्ताव भेजा है। आयोग 30 या 31 मार्च को नये वित्त वर्ष के लिए बिजली की दरें तय करेगा।
126 यूनिट से अधिक बिजली खपत पर घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली महंगी हो सकती है। औद्योगिक और व्यवसायिक उपभोक्ताओं को मिलने वाली सप्लाई के भी दाम बढ़ने के आसार हैं।
घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट निशुल्क बिजली देने से बोर्ड की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है। घरेलू और कृषि उपभोक्ताओं के बिजली बिलों पर अनुदान देने के लिए सरकार की ओर से उपदान दिया जाता है।
वर्ष 2022-23 के बजट में भाजपा सरकार ने बोर्ड को सस्ती बिजली देने के लिए 500 करोड़ रुपये का उपदान दिया था। घरेलू उपभोक्ताओं काे प्रतिमाह 60 यूनिट निशुल्क देने की इस दौरान घोषणा की गई थी।
कुछ माह बाद भाजपा सरकार ने 125 यूनिट तक बिजली को निशुल्क कर दिया था। इसकी एवज में 66 करोड़ की प्रतिमाह उपदान राशि अलग से दी गई।
ऐसे में 125 यूनिट निशुल्क बिजली की योजना को जारी रखने के लिए बोर्ड को करीब 800 करोड़ के उपदान की जरूरत थी।
सरकार अगर चाहती कि 126 यूनिट से अधिक बिजली दरों को नहीं बढ़ाया जाए तो करीब 1100 करोड़ रुपये का उपदान बोर्ड को मिलना था।
ऐसे में संभावित है कि इसी सप्ताह विनियामक आयोग की ओर से जारी होने वाली बिजली दरों में सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का झटका लग सकता है।