हिमाचल प्रदेश में लागू की जा रही स्मार्ट बिजली मीटर योजना को लेकर बिजली बोर्ड के कर्मचारी आपस में बंट गए हैं। जहां एक तरफ बिजली बोर्ड कर्मचारियों का एक बड़ा कुनबा इसका विरोध कर रहा है वहीं दूसरी तरफ मिनीस्ट्रीयल स्टाफ एसोसिएशन इसके समर्थन में है।
मिनीस्ट्रीयल कर्मचारी एसोसिएशन का कहना है कि स्मार्ट बिजली मीटर उपभोक्ताओं व बिजली बोर्ड के हक में है और इस योजना को सही तरह से लागू किया जाना चाहिए।
सोमवार को बिजली बोर्ड में नई कार्यकारी निदेशक ईशा ठाकुर ने कार्यभार संभाला है जिनसे मिनीस्ट्रीयल सर्विसेज एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने मुलाकात की और उन्हें नई जिम्मेदारी की बधाई दी।
मिनिस्ट्रियल सर्विसेज एसोसिएशन के प्रदेश संगठन मंत्री रामेश्वर शर्मा ने बताया कि प्रदेशाध्यक्ष हरिनंद वर्मा की अध्यक्षता में वह लोग नई कार्यकारी निदेशक से मिले और उन्होंने सरकार की स्मार्ट मीटर योजना को लागू करने का पुरजोर समर्थन किया।
एसोसिएशन का मानना है कि इस योजना को समयबद्ध तरीके से लागू करने से जहां एक ओर बिजली चोरी जैसे बड़े अपराध को लगाम लगेगी वहीं दूसरी ओर इससे राज्य विद्युत परिषद की आय में भी वृद्धि होगी जिससे बिजली बोर्ड को घाटे से उभारने में बहुत बड़ी मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि स्मार्ट मीटर के लगने से बिजली से सम्बंधित उच्च गुणवत्ता की सेवा समयानुकूल मिलेगी जिससे उपभोक्ताओं को बहुत लाभ पहुंचेगा।
एसोसिएशन का मानना है की इससे उपभोक्ता के बिजली बिलों में पारदर्शिता के साथ-साथ बिजली की भी बचत होगी। स्मार्ट मीटर योजना से प्रदेश की आय में इजाफा होने से प्रदेश आत्मनिर्भता की ओर बहुत तेजी से अग्रसर होगा।
उन्होंने अपने सहयोगी कर्मचारियों और प्रदेश की जनता को आगाह किया सरकार और उपभोक्ता विरोधी ताकतें यूनियन के नाम पर इस योजना को लागू करने में रोड़ा अटकाने की कोशिश कर रही हैं जोकि सिर्फ गुमराह करने का प्रयास है। इसलिए कोई उनका साथ न दे।
बता दें कि प्रदेश में बिजली बोर्ड लगातार स्मार्ट मीटर लगाने की तरफ आगे बढ़ रहा है और शहरी क्षेत्रों में ऐसे मीटर लगाने का दौर चल रहा है। धीरे-धीरे पूरे प्रदेश में नए मीटर लगा दिए जाएंगे।
बोर्ड के कर्मचारियों का एक वर्ग इसका पूरी तरह से विरोध कर रहा है और उसने उपभोक्ताओं को भी जागरूक करना शुरू किया है। मगर बोर्ड में यह यह दूसरा वर्ग इसके समर्थन में उतर गया है जिससे अब गफलत की स्थिति पैदा हो गई है