राजकीय टीजीटी कला संघ ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि स्कूलों को मर्ज करने के फैसले को 30 सितंबर तक रोक दिया जाए। संघ का कहना है कि कुछ स्कूलों में दाखिले का ग्राफ बढ़ रहा है।
संघ ने कहा कि 30 सितंबर 2024 का डाटा ही यू डाइज़ और युक्तिकरण के लिए फाइनल होता है और ऐसे में इस प्रक्रिया को फिलहाल होल्ड किया जाए। इसके साथ ही शिक्षा विभाग स्कूलों के नामांकन को फिर से जांचे अन्यथा ज्यादा नामांकन होने के बावजूद स्कूल बंद करने के खिलाफ अभिभावक उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं।
बता दें कि सरकारी प्राथमिक और मिडल स्कूलों में पांच से कम नामांकन के आधार पर तालाबंदी होने वाली है। कैबिनेट निर्णय के बाद हिमाचल प्रदेश में बंद और मर्ज होने वाले 560 सरकारी स्कूल सितंबर से नजदीकी शिक्षण संस्थानों में शिफ्ट होंगे।
मगर विभागीय सूची में ऐसे भी स्कूल शामिल हैं जिनमें नामांकन बढ़ रहा है और एडमिशन होने के चलते बच्चों की संख्या आठ से अधिक हो चुकी है। प्री प्राइमरी विद्यार्थियों की संख्या मिलाएं तो यह आंकड़ा और अधिक हो रहा है।
मिड डे मील और यू-डाइज के नामांकन में पूरे प्राथमिक स्तर के बच्चे शामिल किए जाते हैं मगर स्कूल मर्ज या बंद करते समय इनका आंकड़ा भी देखना चाहिए।
पांच या कम संख्या वाली पाठशालाओं को विलय करने का जो पत्र प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी किया गया है उसके साथ संलग्न सूची में कुछ स्कूल एसे भी अंकित हैं जहां पर प्री-प्राइमरी कक्षाएं भी चल रही हैं परंतु उनकी संख्या को नहीं जोड़ा गया है।
राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ हिमाचल प्रदेश विशेष बैठक वर्चुअल में यी बात रखी। संघ के प्रदेश अध्यक्ष जगदीश शर्मा का कहना है कि स्कूलों को मर्ज करने के फैसले को एक्सटेंड किया जाए।
एकमत से समस्त जिला कार्यकारिणी सदस्यों ने प्राथमिक वर्ग में किए जा रहे पाठशालाओं के विलय के निर्णय पर सरकार को विभिन्न कारणों से पुनर्विचार करने की मांग की है।