शिमला:केंद्र आधारित बड़ी योजनाओं पर महामंथन अब दिल्ली में हो रहा है। हिमाचल से प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के भारी-भरकम पैकेज पर केंद्र सरकार को मंजूरी देनी है। इस कड़ी में लोक निर्माण विभाग के अधिकारी पीएमजीएसवाई की संभावनाओं को तलाश रहे हैं।
हिमाचल में पीएमजीएसवाई में राज्य सरकार ने दूसरे चरण की डीपीआर केंद्र को भेजी है। इस डीपीआर में 2813 करोड़ का बजट प्रस्तावित किया गया है। इस डीपीआर में लोक निर्माण विभाग ने करीब 2700 किलोमीटर सडक़ों की जीर्णाेद्धार का लक्ष्य निर्धारित किया है।
हिमाचल को पहली किस्त में 440 करोड़ रुपए की मंजूरी मिल चुकी है। अब दूसरी डीपीआर में जिन सडक़ों को शामिल किया गया है, उन पर लगातार मंथन राज्य और केंद्र सरकार के बीच चल रहा है। प्रदेश में औपचारिकताएं पूरी करने के बाद अब प्रस्ताव राज्य को भेज दिया है।
दरअसल राज्य सरकार पीएमजीएसवाई में मंजूरी के मद्देनजर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और लोक निर्माण विभाग के मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी मुलाकात कर चुके हैं। केंद्र सरकार ने पीएमजीएसवाई की मंजूरी की प्रक्रिया को सख्त कर दिया है। इसमें जिन सडक़ों का चयन किया जाता है।
वहां की जीआईएस रिपोर्ट और फोटो केंद्र सरकार को भेजने होते हैं। इसके बाद केंद्र सरकार के अधिकारी यह तय करते हैं कि सडक़ को पीएमजीएसवाई में मंजूर किया जाएगा या नहीं। राज्य सरकार ने प्रदेश भर के सभी ब्लॉक से सडक़ों का चयन पीएमजीएसवाई के लिए किया है।
इस साल के लिए प्रदेश के हिस्से करीब 3100 किलोमीटर सडक़ें आई हैं। इनमें से 400 किलोमीटर की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है और अब 2700 किलोमीटर को लेकर प्रयास किए जा रहे हैं।
मंजूरी मिली, तो 90 फीसदी खर्च करेगी भारत सरकार
राज्य सरकार की सहमति से लोक निर्माण विभाग ने पूर्व के अनुभवों के आधार पर डीपीआर तैयार की हैं। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि आगामी दिनों में हिमाचल से प्रस्तावित डीपीआर भी मंजूर कर ली जाएगी।
इन सडक़ों के जीर्णाेद्धार पर केंद्र सरकार की मुहर लगती है तो 90 फीसदी खर्च भारत सरकार ही पूरा करेगी। महज दस फीसदी हिस्सा ही हिमाचल को खर्च करना होगा। यही वजह है जो राज्य सरकार ने भारी-भरकम बजट को हासिल करने में पूरी ताकत झोंक दी है।