पंजाब हरियाणा बैकफुट पर,शानन प्रोजेक्ट पर अब फैसले की घड़ी

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मंडी जिला के जोगिन्दरनगर स्थित शानन हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही लड़ाई के मामले में अब फैसले की घड़ी नजदीक है। उच्चतम न्यायालय में इस मामले की सुनवाई सोमवार यानी 22 सितंबर को होगी।

इस कारण हिमाचल सरकार के अफसर दिल्ली चले गए हैं। सुप्रीम कोर्ट में हिमाचल सरकार की तरफ से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल, विनय कुठियाला, एडवोकेट जनरल अनुप रतन और एडिशनल एडवोकेट जनरल वैभव श्रीवास्तव पेश हो रहे हैं।

इससे पहले केंद्र सरकार ने ऊर्जा मंत्रालय के माध्यम से अपना जवाब दायर कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 21 जुलाई, 2025 को केंद्र सरकार को हलफनामा दायर करने को कहा था।

इसमें केंद्र सरकार ने कुल 28 डॉक्यूमेंट में से 10 डॉक्यूमेंट को खारिज किया है, जबकि 16 डॉक्यूमेंट को एडमिट किया है। इसमें हिमाचल सरकार की ओर से 26 अगस्त, 2021 को दिए गए रिप्रेजेंटेशन को भी एडमिट कर लिया गया है।

अब सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर नजर रहेगी। इससे पहले हिमाचल सरकार की ओर से दिए गए तर्क का पंजाब कोई जवाब नहीं दे पाया था, जबकि पड़ोसी राज्य हरियाणा को इस केस में जोडऩे की कोशिश भी नाकाम हो गई थी।

इस विवाद में तीसरे राज्य के तौर पर हरियाणा ने कूदने की कोशिश की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा की याचिका को खारिज कर दिया था।

अब इस केस में हिमाचल और पंजाब के बीच ही एडमिशन और डिनाइल को लेकर बहस होगी। इस केस में हिमाचल ने जो तर्क रखा है, उसका जवाब पंजाब नहीं दे पाया है।

मंडी के राजा और केंद्र सरकार के बीच लीज की अवधि खत्म होने के बाद हिमाचल सरकार ने इस प्रोजेक्ट को वापस लौटने को कहा था।

इसके खिलाफ पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई है और तर्क दिया है कि शानन प्रोजेक्ट पंजाब रि-ऑर्गेनाइजेशन एक्ट के तहत मिला था, इसलिए यह सिर्फ लीज से गवर्न नहीं हो सकता।

हिमाचल सरकार ने पंजाब सरकार की याचिका के आधार को ही रद्द करने का आवेदन डाल दिया था। हिमाचल ने क्लेम किया है कि शानन पावर प्रोजेक्ट का एरिया पंजाब से ट्रांसफर हुई टेरिटरी में नहीं आता, इसलिए इस क्षेत्र में पंजाब री-ऑर्गेनाइजेशन एक्ट लागू नहीं होगा।

इसी एक्ट के आधार पर पंजाब ने सुप्रीम कोर्ट में संविधान के 131वें अनुच्छेद के तहत याचिका दायर की थी। हिमाचल सरकार ने सिविल प्रोसीजर कोड के आर्डर 07 रूल 11 के तहत पंजाब की इस याचिका के औचित्य पर सवाल उठाए थे।

हिमाचल ने कहा कि यह विवाद इंटर स्टेट झगड़ा नहीं है। हरियाणा ने भी यही तर्क देते हुए सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दिया था कि वह पंजाब रि-ऑर्गेनाइजेशन एक्ट का हिस्सा रहा है, इसलिए उनकी बात भी इस विवाद में सुनी जाए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया था।

अब इस केस में केंद्र सरकार का स्टैंड महत्त्वपूर्ण होगा। 110 मेगावाट का यह बिजली प्रोजेक्ट हिमाचल सरकार वापस चाहती है, पंजाब की लीज अवधि खत्म हो गई है।

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