कम बारिश से बढ़ा संकट, हिमाचल के बांधों में घटा जलस्तर

90

गर्मी के मौसम के करीब आने के साथ ही हिमाचल प्रदेश और पंजाब के बांधों में जल स्तर में उल्लेखनीय गिरावट आई है. केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों के अनुसार, यह क्रमश: सामान्य से 46 प्रतिशत और 52 प्रतिशत कम है-जिससे आने वाले महीनों में बिजली उत्पादन और सिंचाई पर संभावित प्रभावों को लेकर चिंता बढ़ गई है।

भाखड़ा बांध में पानी की वर्तमान भंडारण क्षमता 1.247 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) है, जबकि इसकी कुल क्षमता 6.229 बीसीएम है, जो कि 20 प्रतिशत है। पिछले 10 वर्षों में इस समय औसत भंडारण 33 प्रतिशत रहा है।

पौंग बांध की वर्तमान भंडारण क्षमता 0.816 बीसीएम है, जबकि इसकी कुल क्षमता 6.157 बीसीएम है, जो 13 प्रतिशत है, जबकि दस साल का औसत 25 प्रतिशत है।

ये बांध हिमाचल प्रदेश में क्रमश: सतलुज और ब्यास नदियों पर हैं। इस बीच, पंजाब में रावी नदी पर बने थेन बांध में, इसकी क्षमता 2.344 बीसीएम के मुकाबले पानी की उपलब्धता 0.469 बीसीएम है।

इसका मतलब है कि बांध अपनी कुल क्षमता के 20 प्रतिशत तक भरा हुआ है, जबकि दस साल का औसत 41 प्रतिशत है। हिमाचल प्रदेश और पंजाब में बांधों की संयुक्त जलविद्युत उत्पादन क्षमता 3,175 मेगावाट है, जबकि उनकी सिंचाई क्षमता 10,24,000 हेक्टेयर है।

ये बांध हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा व राजस्थान के कुछ हिस्सों, दिल्ली और चंडीगढ़ में पानी की आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण हैं। सीडब्ल्यूसी बुलेटिन के अनुसार, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान सहित उत्तरी क्षेत्र में सीडब्ल्यूसी की निगरानी में 11 जलाशय हैं, जिनकी कुल संग्रहण क्षमता 19.836 बीसीएम है।

ग्लोबल वार्मिंग का असर

इन बांधों में जल स्तर कम होने के कारण आने वाले महीनो में बिजली उत्पादन और सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता प्रभावित हो सकती है। प्रदेश में ग्राउंड वाटर भी कम होता जा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग का काफी असर है जो लगातार बढ़ता जा रहा है।

पंजाब में भी कम बरसे बादल

27 मार्च के जलाशय संग्रहण बुलेटिन के अनुसार, इन जलाशयों में उपलब्ध कुल संग्रहण क्षमता 4.733 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 24 प्रतिशत है।

पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान संग्रहण 32 प्रतिशत था, जबकि इस समय के दौरान सामान्य संग्रहण इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 33 प्रतिशत है।

इस प्रकार, इस वर्ष संग्रहण पिछले वर्ष की इसी अवधि और इस समय के दौरान सामान्य संग्रहण स्तर दोनों से कम है। मार्च के दौरान पंजाब में बारिश कम हुई है।

पहली मार्च से 28 मार्च तक, राज्य में 21.5 मिमी की लंबी अवधि के औसत की तुलना में 7.6 मिमी बारिश हुई, जो 65 प्रतिशत की कमी है।

इसी तरह, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में मार्च में अब तक 28 प्रतिशत कम बारिश हुई है।

Leave a Reply