Home Page

LATEST

Top Picks for You

औषधीय गुणों से भरपूर है लोकप्रिय पहाड़ी फल ‘काफल’

काफल (वानस्पतिक नाम: myrica esculata) एक लोकप्रिय पहाड़ी फल है। यह मध्य हिमालयी क्षेत्रों में पाये जाने वाला सदाबहार वृक्ष है. गर्मी के मौसम...

घुमारवीं में 9 लाख साल पुराने आदि-मानव के अवशेष मिले

हिम टाइम्स|| मानव विकास पर चल रही रिसर्च में एक महत्वपूर्ण खोज हुई है. वैज्ञानिकों ने हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के घुमारवीं के पास...

“तरडी” से बना सकते हैं इतने सारे व्यंजन – विधि सहित

जोगिन्दरनगर : हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में प्राकृतिक रूप से कई मौसमी सब्जियां पाई जाती हैं जो खाने में स्वादिष्ट तो होती ही...

औषधीय गुणों से भरपूर है लोकप्रिय पहाड़ी फल ‘काफल’

काफल (वानस्पतिक नाम: myrica esculata) एक लोकप्रिय पहाड़ी फल है। यह मध्य हिमालयी क्षेत्रों में पाये जाने वाला सदाबहार वृक्ष है. गर्मी के मौसम...

हिमाचली भाषा की लिपि ‘टांकरी’ का संरक्षण जरुरी

जब हम देश के बहुत सारे राज्यों जैसे पंजाब, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, केरल, पश्चिम बंगाल आदि  को उनकी स्थानीय भाषा और लिपि में संवाद करते...

Special

Hanogi-Mata-Temple-Kullu-Himachal-Pradesh-2

हरे-भरे पहाड़ों से घिरा है कुल्लू का हणोगी माता मंदिर

देवभूमि हिमाचल प्रदेश में अनेक धार्मिक स्थल हैं, जिनका अपना ऐतिहासिक महत्त्व है। इन्हीं ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों में से एक है हणोगी माता का मंदिर।...

बिलासपुर-मनाली-लेह रेलवे लाइन के बारे में रोचक तथ्य और जानकारी

प्रस्तावित बिलासपुर-मनाली-लेह (Bilaspur-Manali-Leh) रेलवे लाइन दुनिया में सबसे अधिक ऊँचाई पर स्थित रेलवे लाइन होगी। यह रेलवे लाइन अति संवेदनशील भारत-चीन सीमा पर स्थित...
Know-how-Dussehra-celebrated-in-Kullu-district-started-and-some-interesting-information

जानिए कैसे हुई शुरुआत कुल्लू जिले में मनाए जाने वाले त्यौहार...

"देवताओं की घाटी" कुल्लू हिमाचल प्रदेश के सबसे लुभावनी सुंदर भागों में से एक है। उत्तरी भारत का यह शांत स्थल दूर-दूर से पर्यटकों...
Langza-fossil-village-Spiti-Valley

लंग्ज़ा गांव : हिमालय में बसा एक खूबसूरत रत्न

लंग्ज़ा गांव एक सुंदर और अब लोकप्रिय गंतव्य है, जो भारत की सबसे राजसी घाटियों में से एक 'स्पीति घाटी' में हिमाचल प्रदेश राज्य...

देवी-देवताओं में अटूट आस्था का प्रतीक है कुल्लू दशहरा

आधुनिकता के दौर में भले ही हर क्षेत्र में परिवर्तन आ गया है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में 372 साल पुरानी देव परंपराओं...
[vc_widget_sidebar sidebar_id=”td-default”]