हिमाचल प्रदेश में पांच करोड़ रुपए की लागत से ‘हर घर तिरंगा‘ अभियान के लिए बाँटे जाने वाले झंडों की पहली खेप में गंभीर ख़ामियाँ सामने आयी हैं।
स्वतंत्रता दिवस पर चलाए जाने वाले ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के लिए दिल्ली से आई तिरंगे की सप्लाई खराब निकली है। कई जिलों में अब तक मिल चुकी सप्लाई में तिरंगा झंडा फटा हुआ निकला है।
इसकी गुणवत्ता बेहद खराब है और अशोक चक्र भी सेंटर में नहीं है। भारत सरकार की टैक्सटाइल एंड कल्चर मिनिस्ट्री के माध्यम से एक निजी एजेंसी यह सप्लाई भेज रही है।
कई जिलों से शिकायत आने के बाद राज्य के भाषा विभाग ने इस बारे में राज्य सरकार को रिपोर्ट भेज दी है। इसमें कहा गया है कि तिरंगे की क्वालिटी बेहद खराब है और इसे 25 रुपए में बेचना संभव नहीं है। इसकी कीमत दो रुपए भी नहीं है। बहुत से तिरंगे या तो फटे हुए हैं या फिर उन पर धब्बे हैं।
तिरंगे को बनाने में साइज का रेशो का भी ध्यान नहीं रखा गया है। कई जगह तिरंगे पर रंग केसरिया के बजाय लाल प्रयोग कर दिया गया है और अशोक चक्र भी केंद्र में नहीं है। झंडे की हालत यह है कि इसे फहराने के लिए जब किसी डंडे पर पिरोया जाएगा, तो यह फट सकता है।
इसलिए तिरंगे के अपमान का जोखिम ज्यादा हो गया है। विभाग ने सभी जिलों के उपायुक्तों को भी निर्देश दिए हैं कि इस प्रकार के क्षतिग्रस्त झंडे न बांटे जाएं और इस अभियान में तिरंगे के अपमान जैसी घटना न हो, इसका खास ध्यान रखा जाए। गौरतलब है कि हर घर तिरंगा अभियान के लिए राज्य में पांच करोड़ के तिरंगे झंडे बांटे जाने हैं।
उधर, राज्य सरकार ने 17.50 लाख तिरंगे ऑर्डर किए थे और अभी 10 लाख ही रिसीव हुए हैं और उनमें से भी अधिकांश खराब हैं।
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