हिमाचल प्रदेश में सरकार ने 125 यूनिट तक फ्री बिजली और उस पर दी जाने वाली सबसिडी को लेकर कुछ अहम फैसले लिए हैं लेकिन इससे पहले सरकार प्रदेश की जनता से आह्वान करेगी कि जो व्यक्ति पैसा खर्च कर सकता हैं, वेे वालंटरी अपनी सबसिडी को छोड़ दें।
इस तरह के आह्वान के साथ सरकार बिजली सबसिडी के मामले में आगे बढ़ेगी। कैबिनेट सब-कमेटी ने अपनी सुझावों में इसे शामिल किया है और सरकार चाहती है कि जिस व्यक्ति को जरूरत है, उसी को सबसिडी मिले।
हालांकि सबसिडी को बंद किए जाने को लेकर अब प्रतिक्रिया शुरू हो चुकी है। वैसे अभी तक फैसले को लागू नहीं किया गया है। लिहाजा इससे पहले सरकार हर वर्ग का पक्ष जानेगी और राहत किस तरह से किसको दी जा सकती है, इस पर निर्णय लेगी।
बुधवार को कैबिनेट सब-कमेटी की बैठक हुई है, जिसकी अध्यक्षता तकनीकी शिक्षा व नगर नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी ने की। इस बैठक में बिजली बोर्ड की बिजली सप्लाई लागत को कम करने पर निर्णय लिए गए हैं। साथ ही जरूरत के अनुसार कर्मचारियों की संख्या में युक्तिकरण करने का फैसला हुआ है।
जहां पर जरूरत नहीं होगी, वहां पर पदों को समाप्त करके उनको ऐसे कार्यालयों में लगाया जाएगा, जहां पर जरूरत है। क्योंकि बिजली बोर्ड में साढ़े 11 हजार के करीब पद खाली पड़े हैं और फील्ड में कर्मचारियों की बेहद जरूरत है।
ऐसे में पद खत्म कर समाहित करने की कोशिश होगी। बोर्ड में सुधारात्मक कदमों का नतीजा आज नहीं, बल्कि पांच साल के बाद आएगा।
शिमला में इस बैठक के बाद कैबिनेट सब कमेटी के अध्यक्ष राजेश धर्माणी ने कहा कि सरकार वर्तमान में जो कदम उठा रही है, वे बिजली बोर्ड के भविष्य के लिए हैं। पांच साल के बाद यह सुधार नजर आएंगे और तब बोर्ड आत्मनिर्भर हो जाएगा। यहां पर प्रशासनिक खर्चों को कम करने की बेहद जरूरत है।
ग्रिड से जो बिजली खरीदी जाती है, वो सस्ती है, मगर जो बिजली सप्लाई की जाती है, उसमें लागत ज्यादा आती है। ऐसे में उस लागत को कम करने की ज्यादा जरूरत है।
उन्होंने कहा कि उद्योगों को और सस्ती बिजली यहां पर दी जा सकती है, मगर जरूरत सुधार करने की है। कुछ महत्त्वपूर्ण कदम उठाने के बाद यहां उद्योगों को सस्ती बिजली की व्यवस्था की जा सकती है, जिससे निवेश भी बढ़ेगा।
राजेश धर्माणी से कर्मचारियों पर प्रीवलेज मोशन को लेकर पूछे सवाल को वह टाल गए और उन्होंने कहा कि अभी इस मुद्दे पर चर्चा नहीं कर सकते। साथ ही उन्होंने कुछ अन्य सवालों को भी टाल दिया।
ओपीएस को मांगा प्रस्ताव
राज्य बिजली बोर्ड में ओल्ड पेंशन स्कीम को अभी तक लागू नहीं किया गया है, जबकि सीएम ने इसको लेकर आदेश जारी कर रखे हैं।
इस संबंध में कैबिनेट सब-कमेटी ने चर्चा की है और कर्मचारियों से हुई बातचीत में उनसे प्रोपोजल मांगा गया है। उनसे यह भी कहा गया है कि इसके लिए रिसोर्स कहां से आएंगे, इस पर कर्मचारियों से जानकारी मांगी गई है।
बोर्ड ने गाड़ियाँ नहीं खरीदीं, इसलिए चालक नहीं चाहिए
तकनीकि शिक्षा व नगर नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि बोर्ड कर्मचारियों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम सहित विभिन्न कंपनियों से आउटसोर्स के माध्यम से कर्मचारियों की सेवाएं सुनिश्चित करता है।
उन्होंने कहा कि नई पर्यावरण हितैषी स्क्रैप पॉलिसी के तहत प्रदेश में ई-वाहनों के संचालन को बढ़ावा दिया जा रहा है और वर्ष 2018 और 2021 में बोर्ड द्वारा वाहन न खरीदने का निर्णय लिया गया था। इसी के दृष्टिगत बोर्ड द्वारा आउटसोर्स आधार पर चालकों की सेवाएं नहीं ली जा रही हैं।