फार्मा कंपनियों से लाभ ले रहा था आरोपी असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर

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ईडी की जांच में खुलासा हुआ है कि आरोपी असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर निशांत सरीन 13 फार्मा कंपनियों से करोड़ों रुपए के लाभ उठा रहा था।

ईडी की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं और पता चला है कि आरोपी को कैश, होटल बुकिंग, महंगे उपहार और अन्य सुविधाएं मिलती थीं।

सरीन ने अपने पद का दुरुपयोग कर फर्जी कंपनियों के माध्यम से इन पैसों को वैध दिखाने का भी प्रयास किया। उनके खिलाफ हिमाचल और हरियाणा पुलिस में पहले से कई गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।

जांच में यह स्पष्ट हुआ कि सरीन ने अपने पद का दुरुपयोग कर करोड़ों रुपए की अवैध संपत्ति अर्जित की और इन पैसों को फर्जी कंपनियों के जरिए वैध दिखाने की कोशिश की।

ईडी के अनुसार 48 वर्षीय निशांत सरीन लंबे समय से भ्रष्टाचार और आर्थिक अपराधों में संलिप्त हैं। सबसे पहले वर्ष 2019 में स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।

इस मामले में उन पर दवा निरीक्षक रहते हुए 43.07 लाख की रिश्वत लेने और पद का दुरुपयोग करने का आरोप था। इसके बाद हरियाणा पुलिस ने वर्ष 2022 थाना सेक्टर-20 पंचकूला में विभिन्न आपराधिक धाराओं में एफआईआर दर्ज की।

हाल ही में 23 सितंबर, 2025 को स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो शिमला ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की, जिसमें उन पर 1.66 करोड़ रुपए से अधिक की असमानुपातिक संपत्ति रखने का आरोप लगाया गया।

जांच में यह भी सामने आया कि सरीन ने 2019 के बाद कई महंगी संपत्तियां अर्जित कीं, जिनमें चंडीगढ़ की ओमैक्स सोसाइटी में संपत्ति भी शामिल है।

इन मामलों के आधार पर ईडी ने 31 मार्च 2023 को केस दर्ज किया था, जिसे बाद में उपरोक्त तीनों एफआईआर के साथ एकीकृत कर दिया गया।

ईडी की जांच में यह भी खुलासा हुआ कि डा. कोमल खन्ना, सरीन की करीबी सहयोगी, उनकी हिदायतों पर जेनिया फार्मास्यूटिकल्स और निया फार्मा जैसी कंपनियों को चला रही थीं।

वास्तव में इन कंपनियों के असली लाभार्थी निशांत सरीन ही थे। इन्हीं कंपनियों के माध्यम से उन्होंने लगभग 5.78 करोड़ रुपए की अवैध कमाई को वैध दिखाने का प्रयास किया।

ईडी के अनुसार नौ अक्तूबर, 2025 को दिए अपने बयान में सरीन ने सच्ची जानकारी देने से परहेज किया और जांच को गुमराह करने की कोशिश की।

एजेंसी की तरफ से बताया गया कि सरीन कई साक्ष्यों और गवाहों को प्रभावित करने की स्थिति में हैं, इसलिए उनकी कस्टडी में पूछताछ आवश्यक है, ताकि अवैध संपत्तियों और सह-अभियुक्तों की पहचान की जा सके।

ईडी के एक अधिकारी ने कहा कि निशांत सरीन धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की धारा 3 के तहत अपराध में सीधे तौर पर शामिल हैं, जो धारा 4 के अंतर्गत दंडनीय और गैर-जमानती अपराध है।

ईडी द्वारा अब सरीन की अवैध संपत्तियों की पहचान, धन प्रवाह की जांच और संबंधित व्यक्तियों से पूछताछ की जा रही है।

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