शिमला : हिमाचल में स्मार्ट मीटर प्रोजेक्ट जल्द ही लांच होने वाला है। केंद्र सरकार की सहमति के बाद स्मार्ट मीटर की टेंडर प्रक्रिया अंतिम दौर में पहुंच चुकी है।
टेंडर प्रक्रिया पूरी होते ही प्रदेश भर में स्मार्ट मीटर लगाने प्रक्रिया शुरू होगी। अब तक शिमला और धर्मशाला में ही स्मार्ट मीटर लगाए है।
3700 करोड़ रुपए की इस परियोजना में से 1900 करोड़ रुपए स्मार्ट मीटर पर खर्च होने है और इसके लिए टेंडर प्रक्रिया अब आखिरी पड़ाव पर है। गौरतलब है कि स्मार्ट मीटर की कीमत दस हजार रुपए के आसपास मानी जा रही है।
इसका भुगतान उपभोक्ताओं को एक मुश्त नहीं करना होगा। बल्कि मीटर रेंट या अन्य सुविधाओं के नाम पर किस्तों में वसूली उपभोक्ताओं से होगी। उपभोक्ताओं को 100 से 125 रुपए तक बिजली बिल के साथ अतिरिक्त भुगतान करना पड़ सकता है।
हालांकि प्रदेश में 125 यूनिट तक बिजली फ्री है और ऐसे उपभोक्ताओं से राज्य सरकार मीटर रेंट भी नहीं ले रही है। प्रदेश में करीब 26 लाख उपभोक्ताओं में से 15 लाख ऐसे है, जो 125 यूनिट तक बिजली की खपत कर रहे है।
इसके एवज में सरकार बिजली बोर्ड को 1200 करोड़ रुपए की सबसिडी हर साल चुका रही है। इसका भुगतान अलग-अलग तिमाही किस्तों में किया जा रहा है। यहां बात बिजली बोर्ड की करें तो आरडीएसएस योजना के 3700 करोड़ रुपए दो हिस्सों में बांटे है।
इनमें से 1800 करोड़ रुपए आवश्यक रखरखाव पर खर्च होने है। इस खर्च में केंद्र सरकार और बिजली बोर्ड के बीच 90-10 की हिस्सेदारी तय है, जबकि स्मार्ट मीटर के 1900 करोड़ में करीब 400 करोड़ ही सबसिडी के तौर पर बिजली बोर्ड को मिलेंगे।
1500 करोड़ बोर्ड को मीटर लगवाने पर खर्च करने होंगे। दूसरी ओर 125 यूनिट से कम बिजली खर्च करने वालों का भार राज्य सरकार पर पडऩे की संभावना है।
यूनियन ने कांगड़ा के नगरोटा बगवां और मंडी के जोगिंद्रनगर में दो बड़े आयोजन किए है और इन दोनों जगहों स्मार्ट मीटर का बड़े पैमाने पर विरोध जताया है।
स्मार्ट मीटर पर मुख्यमंत्री से करेंगे मुलाकात
बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन के महासचिव हीरा लाल वर्मा ने बताया कि स्मार्ट मीटर टेंडर प्रक्रिया के खिलाफ कर्मचारी मुख्यमंत्री से मुलाकात कर चुके है। इस दौरान मुख्यमंत्री ने टेंडर प्रक्रिया को रोकने के आदेश दिए थे, लेकिन अब यह प्रक्रिया दोबारा से शुरू हो गई है।
टेंडर प्रक्रिया पूरी होती है, तो इसका बड़ा असर कर्मचारियों और उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। कर्मचारी यूनियन भविष्य में उपभोक्ताओं के साथ मिलकर आंदोलन करेगी। मुख्यमंत्री से एक बार फिर इस संबंध में मुलाकात की जाएगी और उन्हें स्मार्ट मीटर से होने वाले नुकसान की जानकारी देंगे।