मानसून के थपेड़े झेल रहे हिमाचल के लिए राहत की बड़ी खबर है। अब तक 633 करोड़ के जख्म झेल चुके पीडब्ल्यूडी के खाते में यह मदद आई है।
मौजूदा वित्तीय वर्ष में पहली बार नाबार्ड से 295 करोड़ 64 लाख रुपए के 35 प्रोजेक्ट मंजूर हो गए हैं। खास बात यह है कि हिमाचल की हिस्सेदारी इसमें महज दस फीसदी की रहेगी, जबकि 266.08 करोड़ रुपए ऋण के माध्यम से मिलेंगे।
वहीं, 29.56 करोड़ रुपए राज्य सरकार की हिस्सेदारी होगी। हिमाचल को इस साल मिली यह पहली मंजूरी है। इन प्रोजेक्ट के लिए ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन भेजे गए थे।
नाबार्ड में ऑनलाइन पोर्टल का इस्तेमाल भी पहली मर्तबा हुआ है। जिन 35 प्रोजेक्ट को नाबार्ड से मंजूरी मिली है, वे सभी सड़क निर्माण के हैं। यह बजट ग्रामीण इलाकों में खर्च किया जाएगा।
इन प्रोजेक्टों के साथ ही नाबार्ड में मंजूरी मिलते ही बरसात के बाद सड़कों का निर्माण शुरू हो जाएगा। इसका असर उन सडक़ों पर भी देखने को मिलेगा, जो बरसात की वजह से बर्बाद हुई होंगी।
मंजूरी के बाद पीडब्ल्यूडी अब इन प्रोजेक्ट पर आगामी प्रक्रिया शुरू करेगा। आगामी करीब एक महीने में सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद विभाग सभी 35 प्रोजेक्ट के टेंडर जारी कर देगा।
इन प्रोजेक्ट के इसी साल दिसंबर से पहले शुरू होने की संभावना है। गौरतलब है कि पीडब्ल्यूडी ने नाबार्ड में इस साल के लिए ऑनलाइन माध्यम से 53 सड़कों की डीपीआर भेजी है।
इनमें से 35 सडक़ें पहले चरण में मंजूर हो गई है, जबकि दूसरे चरण में 18 प्रोजेक्ट दिसंबर से पहले मंजूर हो सकते हैं। 18 प्रोजेक्ट का निर्माण 188 करोड़ रुपए से होना प्रस्तावित है।
पीडब्ल्यूडी इस साल नाबार्ड से अभी तक पीडब्ल्यूडी को यह पहली मंजूरी है। हिमाचल प्रदेश में लगातार मानसून का नुकसान झेल रहे लोक निर्माण विभाग के लिए यह दूसरा बड़ा तोहफा है।
इससे पहले केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के निर्माण प्रक्रिया को पूरा करने की अवधि बढ़ाने का फैसला किया था। इस मंजूरी के बाद राज्य में पीएमजीएसवाई के पहले और दूसरे चरण में लंबित प्रोजेक्ट मार्च, 2025 तक पूरे किए जा सकते हैं।
मंजूरी के बाद साफ होगा सड़क निर्माण का रास्ता
पीडब्ल्यूडी के प्रमुख अभियंता एनपी सिंह ने बताया कि नाबार्ड के तहत लगातार सडक़ों के निर्माण का प्रस्ताव भेजा जाता है। यह पहली मंजूरी विभाग को मिली है और इससे एक साथ 35 सडक़ों के निर्माण का रास्ता साफ हो पाएगा।
ज्यादातर सडक़ों का निर्माण ग्रामीण इलाकों में होगा। इससे सडक़ों से वंचित लोग राहत महसूस करेंगे। सडक़ों का निर्माण 90-10 के अंतराल में किया जाएगा।
इनमें ऋण 90 प्रतिशत होगा तो राज्य की हिस्सेदारी 10 फीसदी होगी। यह सभी प्रोजेक्ट तय समय पर शुरू होकर पूरे हो सकें इस पर पीडब्ल्यूडी विशेष ध्यान देगा। जल्द ही टेंडर प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी।