हिमाचल में लोक निर्माण विभाग अब आगामी दो महीने तक केंद्र के प्रोजेक्ट्स पर ध्यान केंद्रित करने वाला है। केंद्र सरकार ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पीएमजीएसवाई के तीसरे चरण को मंजूरी दी है और इसके सभी टेंडर बड़े बजट के साथ ही ऑनलाइन होने वाले हैं।
फिलहाल, जिस टेंडर प्रक्रिया को रोका गया है उसमें एक से पांच लाख रुपए तक के ऑफलाइन टेंडर शामिल हैं। पहाड़ी रेंज के राज्यों में हिमाचल इकलौता ऐसा प्रदेश है, जहां केंद्र सरकार ने पीएमजीएसवाई के तीसरे चरण को मंजूर किया है। प्रदेश को पहली बार में 442 करोड़ रुपए का भारी-भरकम बजट विधानसभा चुनावों से ठीक पहले मंजूर हुआ था।
हालांकि यह बजट 15 ब्लॉक में ही खर्च होना है और इससे 45 सडक़ों का जीर्णोंद्धार किया जाएगा। यह वो सडक़ें हैं, जिनकी डीपीआर पूर्व में तैयार की गई थी और इन्हें केंद्र को भेजा था।
इन 15 ब्लॉक में से पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का विधानसभा क्षेत्र सराज और जलशक्ति विभाग के मंत्री रहे महेंद्र सिंह ठाकुर का विधानसभा क्षेत्र धर्मपुर भी शामिल है।
पहली मंजूरी में 440 किलोमीटर सडक़ का रखरखाव और जीर्णोंद्धार होना है। पीएमजीएसवाई के तीसरे चरण में 3125 किलोमीटर हिमाचल के हिस्से आए हैं। यह प्रोजेक्ट आगामी दस साल में पूरा होना है। प्रोजेक्ट में 90 फीसदी तक की धनराशि केंद्र सरकार की ओर से खर्च होगी।
उधर, नाबार्ड में भी लोक निर्माण विभाग के लिए 223 करोड़ रुपए के 37 प्रोजेक्ट मंजूर हुएहैं। इनके टेंडर की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता अजय गुप्ता ने बताया कि केंद्र सरकार से पीएमजीएसवाई की मंजूरी हासिल करने के लिए प्रयास जारी हैं। नए प्रोजेक्ट बनाकर केंद्र को भेजे जा रहे हैं। केंद्र सरकार से पत्राचार भी इस संबंध में लगातार जारी है।
केंद्र सरकार से मांगेगे मदद
लोक निर्माण विभाग के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा है कि केंद्र से और अधिक मदद मांगी जाएगी, ताकि प्रदेश में सडक़ों के विकास पर कोई असर न पड़े। उनका साफ इशारा पीएमजीएसवाई की तरफ है।
अब अधिकारी भी पीएमजीएसवाई की दूसरी खेप की मंजूरी हासिल करने में जुट गए हैं। राज्य में बड़े पैमाने पर पीएमजीएसवाई का प्रोजेक्ट तैयार कर केंद्र को भेजा जा रहा है।
90-10 के अनुपात में मिलेगी मदद
भारत में प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना 80 हजार करोड़ से ज्यादा की है। इस योजना को 60 और 40 के अनुपात में तमाम राज्यों में विभाजित किया है। यानी 60 फीसदी खर्च केंद्र और 40 फीसदी राज्य सरकार, लेकिन हिमाचल के लिए आठ पूर्वाेत्तर राज्यों और तीन हिमालयी राज्यों में यह अनुपात केंद्र ने 90-10 का कर दिया है।
यानी 90 फीसदी हिस्सा केंद्र का होगा और महज दस फीसदी खर्च राज्य को उठाना पड़ेगा। इसमें हिमाचल भी शामिल है। हिमाचल को 300 करोड़ के बदले तीन हजार करोड़ रुपए की मदद मिलेगी।
तीन हजार करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट
हिमाचल को पीएमजीएसवाई के तीसरे चरण में 3125 किलोमीटर सडक़ों के जीर्णाेद्धार को मंजूरी मिली है। आगामी दस साल में प्रदेश में इन सडक़ों पर काम होगा। इनमें से ज्यादातर वो ही सडक़ें हैं, जो पूर्व में प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के पहले चरण में निर्मित हुई हैं या जिन सडक़ों का निर्माण अधूरा छूट गया है।
तीसरे चरण में पंचायत भवन, स्कूल व सब्जी मंडी सहित स्वास्थ्य संस्थानों को सडक़ से जोड़ा जाना है। पीएमजीएसवाई तीन के लिए केंद्र सरकार की मदद से तीन हजार करोड़ रुपए खर्च होने हैं। इनमें से 442 करोड़ रुपए जारी हो चुके हैं।