हिमाचल प्रदेश में घरेलू उपभोक्ताओं को प्रतिमाह 125 के बजाय 300 यूनिट निशुल्क बिजली देने की तैयारी शुरू हो गई है। विशेष मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार रामसुभग सिंह ने बिजली बोर्ड के अधिकारियों से तीन बिंदुओं को लेकर जानकारी मांगी है।
अधिकारियों से पूछा गया है कि कितने उपभोक्ताओं को 300 यूनिट निशुल्क बिजली का लाभ होगा? कितना खर्च आएगा? इसकी भरपाई कैसे होगी? हिमाचल में 125 यूनिट तक निशुल्क बिजली देने से अभी 14 लाख उपभोक्ताओं के मासिक बिल शून्य हो गए हैं।
ऐसे उपभोक्ताओं से बोर्ड मीटर रेंट और अन्य सेवा शुल्क भी नहीं ले रहा है। प्रदेश में 22.58 लाख उपभोक्ता घरेलू श्रेणी के हैं। कांग्रेस ने सत्ता में आते ही प्रतिमाह 300 यूनिट बिजली देने की गारंटी दी थी।
घरेलू उपभोक्ताओं को प्रतिमाह 125 यूनिट तक निशुल्क बिजली देने से बोर्ड का राजस्व घाटा 275 करोड़ पहुंच गया है। 125 यूनिट प्रतिमाह निशुल्क बिजली की एवज में सरकार बोर्ड को प्रतिमाह 66 करोड़ रुपये सब्सिडी दे रही है।
जनवरी 2023 से बोर्ड को 125 यूनिट की निशुल्क बिजली योजना जारी रखने के लिए सरकार से अनुदान की दरकार है। प्रतिमाह 300 यूनिट निशुल्क बिजली देने से बोर्ड की परेशानियां और बढ़ने के आसार हैं।
सरकार को देनी पड़ेगी अपने शेयर की बिजली
घरेलू उपभोक्ताओं को प्रतिमाह 300 यूनिट बिजली देने के लिए प्रदेश सरकार को अपने हिस्से की सप्लाई बोर्ड को देनी होगी। प्रदेश में स्थापित बिजली परियोजनाओं से सरकार को 12 फीसदी रायल्टी मिलती है।
इस शेयर को सरकार उत्तरी ग्रिड में बेचती है। कई बार बिजली बोर्ड को भी सस्ती दरों पर सरकार अपना शेयर बेचती है। इसके अलावा सरकार के पास प्रतिमाह 100 करोड़ से अधिक की सब्सिडी बोर्ड को देने का विकल्प भी है।
निशुल्क बिजली देने को पूछी जा सकती है स्वेच्छा
दिल्ली और पंजाब की तर्ज पर हिमाचल सरकार भी प्रदेश में 300 यूनिट निशुल्क बिजली लेने के लिए उपभोक्ताओं से स्वेच्छा पूछ सकती है। इसके तहत उपभोक्ताओं को बोर्ड के पास आवेदन कर बताना होगा कि उन्हें निशुल्क बिजली सप्लाई चाहिए है या नहीं।