हिमाचल में बीते 124 सालों में तीसरी बार अक्तूबर महीना सबसे सूखा गुजरा है। इस बार अक्तूबर महीने में 97 फीसदी बारिश की कमी देखने को मिली है।
मौसम विभाग की मानें तो 1901 से 2024 तक के बीच इस साल के आंकड़े सबसे चौंकाने वाले रहे हैं। छह जिलों में बारिश की एक बूंद तक नहीं गिरी, जबकि तीन जिलों में एक मिलीमीटर से भी कम बारिश दर्ज की गई है।
इस माह सबसे ज्यादा बारिश भी सिर्फ 8.6 मिलीमीटर दर्ज की गई है। मौसम विभाग के अनुसार 1955 में अक्तूबर महीने के दौरान सबसे ज्यादा 413.5 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी और इस बारिश का रिकार्ड अभी तक नहीं टूट पाया है।
प्रदेश में सामान्य तौर पर बारिश का रिकार्ड 25.1 मिलीमीटर है। इस बार हमीरपुर, बिलासपुर, सोलन, सिरमौर, कुल्लू और चंबा सूखे ही छूट गए। लाहुल-स्पीति में 0.1 मिमी, शिमला में 0.2 मिमी, किन्नौर में 0.4 मिमी बारिश दर्ज की गई है। इसके अलावा कांगड़ा में 1.5 मिमी, मंडी में 3.4 मिमी और ऊना में 8.6 मिमी बारिश हुई है।
मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी की संभावना के बावजूद बेहद कम बर्फबारी दर्ज हुई है। नौ अक्तूबर को लाहुल-स्पीति के कोकसर में फाहे गिरने शुरू हुए थे और 10 अक्तूबर को यहां 0.6 सेमी बर्फबारी दर्ज की गई।
मौसम विभाग की मानें तो बीते 23 सालों बाद अक्तूबर में ऐसा संयोग बना है, जब ओवरआल बारिश का रिकार्ड एक मिलीमीटर के आंकड़े को भी नहीं छू पाया है। मौसम विभाग ने आगामी एक सप्ताह तक मौसम के साफ बने रहने की संभावना जताई है और इसे देखते हुए अब सूखे की स्थिति और अधिक गंभीर होने की आशंका बन रही है।
गेहूं की बिजाई में देरी संभव
प्रदेश में सूखे के बन रहे संकट के बीच मैदानी इलाकों में गेहूं, आलू और प्याज की पनीरी लगाने में देरी हो सकती है। धान की फसल काटने के बाद ज्यादातर खेत खाली हैं और किसान जमीन में नमी के लिए बारिश का इंतजार कर रहे हैं।
जो क्षेत्र पूरी तरह से बारिश के पानी पर निर्भर हैं, उनके लिए नवंबर के पहले हफ्ते में भी बड़ी राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। हालांकि मौसम विभाग ने सात नवंबर के बाद मौसम में बदलाव की संभावना जरूर जताई है।