शिमला।। पठानकोट को लेह से जोड़ने वाली 219 किलोमीटर लंबी रणनीतिक पठानकोट-मंडी फोरलेन सड़क परियोजना में पर्यावरणीय मंजूरी की कमी के कारण तीन साल से अधिक की देरी हो गई है। हालांकि पहले चरण का काम चल रहा है, लेकिन बाकी चार चरणों का काम ग्रीन क्लीयरेंस के अभाव में अटका हुआ है।
हालाँकि पिछले महीने ही पालमपुर में 7.28 हेक्टेयर क्षेत्र में सियूणी से रजोल तक के भाग के लिए विभागीय मंजूरी मिल चुकी है लेकिन चार चरणों के बाकी के अधिकतर हिस्से पर्यावरणीय मंजूरी के लिए लम्बे समय से कतार में हैं। इस वजह से कुछ हिस्सों में लगभग तीन साल से काम शुरू नहीं हो पाया है।
हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हाल ही में इस मुद्दे को लेकर केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री से मुलाकात की थी, लेकिन अभी तक भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से मंजूरी नहीं मिली है।
गुरूग्राम की फर्म को कार्य आबंटित
परियोजना का दूसरा चरण गुरुग्राम स्थित एक फर्म को सौंपा गया था, लेकिन केंद्र और हिमाचल प्रदेश सरकार से एनओसी के बिना काम शुरू नहीं हो सका। -एनएचएआई प्रवक्ता
इससे पहले, मार्च 2022 में पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी के बाद एनएचएआई ने पठानकोट (कंडवाल) और कांगड़ा जिले में 32 मील के बीच परियोजना के पहले चरण के निर्माण को मंजूरी दी थी। पहले चरण का काम प्रगति पर है। हालाँकि, 185 किमी के शेष चार चरणों पर कोई प्रगति नहीं हुई है।
राज्य सरकार ने भूमि अधिग्रहण के लिए पठानकोट और पालमपुर के बीच 90 प्रतिशत प्रभावित व्यक्तियों को पहले ही मुआवजा जारी कर दिया है।
“दूसरे चरण के लिए वैश्विक बोलियाँ पिछले साल NHAI द्वारा मंगाई गई थीं और निर्माण कार्य का ठेका गुरुग्राम स्थित कंपनी को दिया गया था। चूंकि निर्माण वन भूमि पर भी हो रहा है, इसलिए केंद्र और हिमाचल प्रदेश सरकार से अनापत्ति प्रमाण पत्र के बिना काम शुरू नहीं हो सकता है”, एनएचएआई प्रवक्ता ने कहा।
इस परियोजना का रणनीतिक महत्व है क्योंकि यह पठानकोट को लेह, लद्दाख और अन्य अग्रिम क्षेत्रों से जोड़ती है। रक्षा जरूरतों को देखते हुए केंद्र इसे जल्द पूरा करना चाहता है।
प्रवक्ता ने कहा कि एनएचएआई का ध्यान पहाड़ियों की न्यूनतम कटाई सुनिश्चित करने, पर्यावरणीय क्षरण से बचने, राजमार्ग के किनारे रहने वाले लोगों की असुविधा और अव्यवस्था से बचने पर है। फोर-लेन सड़क पूरी होने पर पठानकोट और मंडी के बीच की दूरी 219 किमी से घटकर 171 किमी रह जाएगी।
एनएचएआई के परियोजना निदेशक विकास सुरजेवाला ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा सभी औपचारिकताएं पहले ही पूरी कर ली गई हैं और एनएचएआई, वन और पर्यावरण मंजूरी जल्द ही दिए जाने की संभावना है।