प्रदेश के तीन जिलों में दुधारू पशुओं में लंपी वायरस का कोई मामला सामने नहीं आया है। इसमें लाहुल-स्पीति, किन्नौर और कुल्लू जिला शामिल हैं, जबकि जिला मंडी में पशुओं में लंपी वायरस का अटैक दिखा है और जिला कांगड़ा में यह पीक पर है और प्रभावित पशुओं का आंकड़ा काफी ज्यादा है।
प्रदेश में लंपी वायरस प्रभावित पशुओं के 69521 मामले सामने आ चुके हैं और इससे 3200 से अधिक पशुओं की मौत हुई है। सरकार ने इस रोग को एपेडेमिक घोषित किया है और विभाग पूरी सक्रियता से इसपर कंट्रोल पाने का प्रयास कर रहा है।
प्रदेश में अब तक वैक्सीनेशन का आंकड़ा एक लाख 60 हजार को पार कर चुका है। लंपी वायरस से प्रभावित 38 हजार के करीब पशु स्वस्थ हो चुके हैं और रिकवरी रेट 50 फीसदी के आसपास है। प्रदेश में लंपी वायरस से प्रभावित अधिकतर मामले गउओं के हैं, जबकि चार-पांच भैंसों में इसके लक्षण देखे गए हैं।
प्रदेश के पशु पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि लंपी वायरस का पहला केस सामने आते ही उचित कदम उठाए गए और टास्क फोर्स बना दी गई थी। हर जिला में चिकित्सकों की छुट्टी व स्थानांतरण पर रोक लगा दी गई है। प्रतिदिन मॉनिटरिंग की जा रही है और समय-समय पर डिप्टी डायरेक्टर लेवल के अधिकारियों से जानकारी ली जा रही है।
उन्होंने बताया कि बार्डर एरिया सिरमौर में पहला मामले सामने आया था फिर शिमला, सोलन, उना होते हुए वायरस कांगड़ा में पहुंचा और इससे जिला कांगड़ा के पशु ही सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि वहीं लंपी वायरस से नुकसान झेलने वाले किसानों को सरकार रिलीफ मैन्युअल के आधार पर मुआवजा प्रदान करेगी।