कारगिल विशेष दिवस: शेरशाह की दहाड़ से कांप उठता था पाकिस्तान

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जम्मू-कश्मीर के कारगिल में घुसपैठ की हिमाकत का दुश्मन को ऐसा जवाब भारतीय शूरवीरों ने दिया था कि इसकी कई पीढियां न केवल कांपती रहेंगी बल्कि कभी ऐसा दुस्साहस भी नहीं करेंगी।

शूरवीर कैप्टन विक्रम बतरा

दुर्गम क्षेत्र में मई 1999 में पाकिस्तानी घुसपैठ से पहला नुकसान शूरवीरों की धरती पालमपुर के कैप्टन सौरभ कालिया के बलिदान के रूप में उठाया था, पर उसी शहादत का इसी शहर के महान सैनिक कैप्टन विक्रम बत्रा ने ऐसा जवाब दिया था कि दुश्मन की रुह आज भी कांपती है।

तीन मई 1999 से शुरू हुआ यह युद्ध 26 जुलाई 1999 तक चला। इस दौरान प्रदेश ने अपने 52 जांबाज बेटों को देश के लिए कुर्बान किया। इस युद्ध में देश ने 527 सैनिक खोए और 1363 घायल हुए थे।एक सैनिक को दुश्मन ने बंदी बनाया और एक मिग-27 गंवाया था। इस युद्ध ने भारत के कई सैनिकों की बहादुरी के ऐसे किस्से दुनिया के सामने रखे कि दुनिया के कई देश आज भी कांपते हैं।

पालमपुर शहर में नौ सितंबर 1974 को जन्मे कैप्टन विक्रम बत्रा सात जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध में देश के लिए शहीद हो गए थे। विक्रम बत्रा की शहादत के बाद प्वाइंट 4875 चोटी को बत्रा टॉप का नाम दिया गया। विक्रम बत्रा ने 1996 में इंडियन मिलिटरी अकादमी में दाखिला लिया था।

छह दिसंबर 1997 को कैप्टन बत्रा जम्मू और कश्मीर राइफल्स की 13वीं बटालियन में बतौर लेफ्टिनेंट शामिल हुए। कारगिल युद्ध में उन्होंने जम्मू-कश्मीर राइफल्स की 13वीं बटालियन का नेतृत्व किया।

कारगिल युद्ध के दौरान जब उन्हें 5140 चोटी को कब्जे में लेने का ऑर्डर मिला तो बत्रा अपने पांच साथियों को लेकर मिशन पर निकल पड़े।

पाकिस्तानी सैनिक चोटी के टॉप पर थे और मशीन गन से ऊपर चढ़ रहे भारतीय सैनिकों पर गोलियां बरसा रहे थे, लेकिन बत्रा ने हार नहीं मानी और एक के बाद एक पाकिस्तानी को ढेर करते हुए इस चोटी पर कब्जा कर लिया।

उनके अंतिम शब्द थे, ‘जय माता दी।’ इस लड़ाई में कांगड़ा जिला के सबसे अधिक 15 जवान शहीद हुए थे। मंडी जिला से 11, हमीरपुर के सात, बिलासपुर के सात, शिमला से चार, ऊना से दो, सोलन और सिरमौर से दो-दो जबकि चंबा और कुल्लू जिला से एक-एक जवान शहीद हुआ था।

सेवानिवृत्त कर्नल जयगणेश ने कहा कि उन्हें 1999 का करगिल युद्ध आज भी याद है, कि देश के जवानों ने अपने प्राणों की आहूतियां देकर टाइगर हिल पर तिरंगा फहराया था।

उन्होंने बताया कि हमारी सेनाओं ने अपनी पूरी बहादुरी से मातृभूमि में घुसे आक्रमणकारियों को मार भगाया और 26 जुलाई को आखिरी चोटी पर भी विजय पा ली थी।

इसी कारण इसी दिन को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। कारगिल युद्ध में देश के चार वीर योद्धाओं को परमवीर चक्र से नवाजा गया था, उनमें दो योद्धा वीरभूमि हिमाचल के थे। कैप्टन विक्रम बत्रा और रायफल मैन संजय कुमार। वीरभूमि हिमाचल के सैनिकों ने भी देश प्रेम की कई मिसालें दी हैं। (जननी जने तो तीन जन…दाता, भक्त या शूर…नहीं तो जननी बांझ रहे…काहे गंवाए नूर!!!)

धर्मशाला युद्ध स्मारक में आज शहीदों को दी जाएगी श्रद्धांजलि

देश के लिए शहीद हुए जवानों की याद में शुक्रवार यानी 26 जुलाई को धर्मशाला युद्ध स्मारक में कारगिल विजय दिवस समारोह मनाया जाएगा। इसके लिए प्रशासन के द्वारा तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

कारगिल युद्ध में मिली जीत के आज 25 वर्ष पूरे होने की खुशी पर कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। समारोह में शहीदों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। इस मौके पर भाजयूमो की ओर से भी मशाल यात्रा निकाली जाएगी।

आतंकियों के घुसने की आशंका, अलर्ट जारी

कारगिल विजय दिवस पर देवभूमि हिमाचल में भी आतंकियों के घुसने की आशंका के चलते अलर्ट जारी किया गया है। इसके चलते सेना, पुलिस सहित तमाम सारी सुरक्षा एजेंसियां चौकन्ना हो गई हैं और हर घटना पर नजरें गड़ाए हुए हैं।

हालांकि राज्य के शहीद स्मारक में कारगिल विजय दिवस पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन कर देश के लिए बलिदान दे चुके वीर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी।

कारगिल विजय दिवस से पहले ही पड़ोसी राज्य में सक्रिय आतंकवादियों के पंजाब के पठानकोट में दिखने के बाद हिमाचल के भी सीमावर्ती क्षेत्रों में अलर्ट जारी कर दिया गया है।

बदलते हालात को देखते हुए योल, धर्मशाला और डलहौजी स्थित आर्मी सेंटर से भी सेना के जवान हलात पर पैनी नजर बनाए हुए हैं।

पंजाब से हिमाचल के वार्डर एरिया के भीतर दाखिल होने वाले वाहनों को पूरी तरह से स्कैन किया जा रहा है। उधर पुलिस अधीक्षक शालिनी अग्रिहोत्री ने बताया कि पुलिस अलर्ट जारी कर हर गतिविधि पर नजर रख रही है। पड़ोसी राज्य में संदिग्ध दिखने के बाद यहां पर भी पूरी एहतियात बर्ती जा रही है।

पहले भी हो चुका है आतंकी हमला

आतंकवादी पूर्व में पड़ासी राज्य पंजाब के हिमाचल के साथ सटे पठानकोट एयरवेस पर भी आतंकी हमला कर चुके हैं। ऐसे में वार्डर एरिया पर अकसर आतंकी गतिविधियों का भय बना रहता है। पूर्व में हुई घटनाओं से सबक लेते हुए इस बार सेना व पुलिस सहित सभी एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं।

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