अब फोरलेन निर्माण से पहले जांची जाएगी जमीन, पहाड़ों को तोडऩे की जगह अब सुरंगें बनाने पर जोर देगाी NHAI

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शिमला: हिमाचल में नेशनल हाईवे के दोबारा निर्माण से पहले जमीन की जांच करेगा। मिट्टी की परतें खोली जाएंगी और उसके बाद निर्माण शुरू होगा। एनएचएआई ने यह फैसला प्रदेश भर में लगातार हो रहे भूस्खलन की वजह से लिया है।

दरअसल एनएचएआई को प्रदेश भर में अलग-अलग जगहों पर भूस्खलन की वजह से मोटी चपत अभी तक लग चुकी है। इतना ही नहीं, एनएचएआई अब सीधे मार्ग बनाने की जगह सुरंगों के निर्माण को प्राथमिकता देगा।

अभी तक हुई बरसात में नेशनल हाईवे के उन हिस्सों को नुकसान नहीं पहुंचा है, जहां सुरंग के माध्यम से फोरलेन को गुजारा गया है। गौरतलब है कि नेशनल हाईवे पर भू-स्खलन होने की वजह जांचने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था।

इस कमेटी ने सभी तथ्य जुटाए हैं और अब कमेटी की रिपोर्ट आने वाली है। इस रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश में नेशनल हाईवे के निर्माण में बदलाव की तैयारियां चल रही हैं। एनएचएआई ने कीरतपुर-मनाली नेशनल हाईवे के नेरचौक तक के हिस्से का निर्माण हाल ही में पूरा किया है।

fourlane update land will be tested before construction forelane

इस निर्माण में सुरंगों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया गया और यही वजह रही है, जो नेशनल हाईवे को नेरचौक तक ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। हालांकि मंडी से कुल्लू के बीच में बाढ़ आने की वजह से कई जगह नेशनल हाईवे पूरी तरह से बर्बाद हुआ है, लेकिन अब यहां भी एनएचएआई सुरंग बनाने की तैयारी में है।

कालका-शिमला नेशनल हाईवे पर भी सोलन और परवाणू के बीच नई सुरंगों का निर्माण आगामी दिनों में किया जा सकता है, जबकि शिमला-मटौर नेशनल हाईवे में भी बदलाव आने वाले दिनों में होगा।

एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी अब्दुल बासित ने बताया कि केंद्रीय टीम की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। इस रिपोर्ट के आधार पर आगामी कदम उठाए जाएंगे। प्रदेश में सुरंगों के निर्माण से नेशनल हाईवे को बचाया जा सकता है।

इसे देखते हुए मौसम साफ होने के बाद आवश्यक बदलाव लाए जाएंगे। एनएचएआई को नेशनल हाईवे दुरुस्त करने को तीन घंटे काम करने की मोहलत मिली है, लेकिन लगातार बारिश का असर उनके काम पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि बरसात थमने के बाद निर्माण की गति तेज होगी।

बदल रही पहाड़ की प्रकृति

एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी अब्दुल बासित ने बताया कि निर्माण से पहले मिट्टी की जांच आवश्यक है। पहाड़ों में जो बदलाव बीते कुछ सालों में आया है, उसे समझने की जरूरत है।

अब जो रिपोर्ट केंद्रीय जांच टीम देगी, उसके आधार पर ही आगामी कदम उठाए जाएंगे। मिट्टी के अलावा अन्य बातों की भी जांच इस दौरान होगी।

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