हिमाचल में होगी फोरलेन के सुरक्षा जालों की मुरम्मत

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हिमाचल प्रदेश में जगह-जगह भूस्खलन और मलबा गिरने से अन्य स्थानों के अलावा शिमला-मटौर फोरलेन भी बरसात में प्रभावित हुआ है। परियोजना निदेशक विक्रम सिंह मीणा ने कहा कि इस बार मानसून बेहद भारी रहा, जिसकी वजह से कई स्थानों पर लैंड स्लाइडिंग हुआ है। उन्होंने बताया कि क्षतिग्रस्त सुरक्षा जालों की जल्द मुरम्मत की जाएगी और जहां जरूरत होगी वहां नए जाले लगाए जाएंगे।

रानीताल के नजदीक बाथू पुल और बालूग्लोआ के पास भी काफी भूस्खलन हुआ था, जिस कारण सुरक्षा के लिहाज से एक लेन पूरी तरह से वाहनों की आवाजाही के लिए बंद रखी गई थी। लेकिन अब बरसात खत्म हो चुकी है।

हालांकि अभी भी कुछ स्थानों पर मलबा पूरी तरह से नहीं हट पाया है। परियोजना निदेशक विक्रम सिंह मीणा ने कहा कि इस बार मानसून बेहद भारी रहा, जिसकी वजह से कई स्थानों पर लैंड स्लाइडिंग हुआ है।

उन्होंने बताया कि क्षतिग्रस्त सुरक्षा जालों की जल्द मुरम्मत की जाएगी और जहां जरूरत होगी वहां नए जाले लगाए जाएंगे। मीणा ने बताया कि विभाग का लक्ष्य अगली बरसात से पहले पुख्ता इंतजाम करना है और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न बने।

वहीं रानीताल टोल प्लाजा के पास बंद पड़ी लेन को लेकर उन्होंने बताया कि वहां पर काम तेजी से चल रहा है और एक सप्ताह के भीतर दूसरी लेन भी यातायात के लिए खोल दी जाएगी।

रानीताल टोल प्लाजा से रसूह तक एक ही लेन चालू

बरसात के दौरान भूस्खलन और सुरक्षा कारणों से सड़क की एक लेन बंद कर दी गई थी। यहां एक लेन पूरी बरसात में बंद रही। यहां एक लेन बंद होने से वाहन चालकों में असमंजस की स्थिति पैदा हो जाती है।

इसी असमंजस के चलते रानीताल फ्लाईओवर पर कई सड़क हादसे भी हो चुके हैं। रानीताल टोल प्लाजा से लेकर रसूह पैट्रोल पंप तक यातायात एक ही लेन से गुजर रहा है, जबकि दूसरी लेन से मलबा हटाने का काम जारी है।

पहाड़ियों से पत्थरों को गिरने से रोकने के लिए लगाया सुरक्षा जाल

बाथू पुल के नजदीक पत्थरों को गिरने से रोकने के लिए यहां पहाड़ों पर लगाई गई प्रोटैक्शन नैट्स कई जगह भूस्खलन के कारण क्षतिग्रस्त हुई हैं।

कुछ तकनीकी जानकार कहते हैं कि अगर पहाड़ों पर यह सुरक्षा जाल नहीं लगाए होते तो यहां के हालत कुछ और ही होते।

अधिकारियों का कहना है कि प्रोटैक्शन नैट्स लगाने से इस स्पॉट पर भूस्खलन पर काफी रोक लगी है। जहां ये सुरक्षा नैट्स नाकाम रहे हैं, वहां मुरम्मत और मजबूतीकरण का काम प्राथमिकता से किया जाएगा।

बची रही रेल लाइन

पिछले साल बरसात के दौरान रानीताल रसूह पैट्रोल पंप के पास शिमला-मटौर फोरलेन पर एक डंगा बैठ गया था। उस समय पूरा मलबा नीचे से गुजर रही रेलवे लाइन पर जा गिरा था, जिससे रेलवे ट्रैक काफी क्षतिग्रस्त हो गया था।

हालांकि इस बार स्थिति यहां बदली हुई रही। एनएचएआई कम्पनी ने यहां पक्का डंगा लगवा दिया था, जिसकी वजह से इस मानसून सीजन में वहां पर भूस्खलन नहीं हुआ और सड़क और रेलवे लाइन दोनों सुरक्षित रहे।

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