शिमला: फोरेस्ट क्लीयरेंस से बाहर निकले नेशनल हाई-वे के आधा दर्जन मार्गों के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। जिन मार्गों को क्लीयरेंस मिली है, एनएचएआई ने उन्हें आगामी तीन सालों में पूरा करने का टारगेट तय किया है।
एनएचएआई ने निर्माण की आगामी प्रक्रिया शुरू कर दी है। इन मार्गों में अब भूमि अधिग्रहण समेत अन्य मामले निपटाए जाएंगे। फोरेस्ट क्लीयरेंस का सबसे बड़ा फायदा शिमला-मटौर नेशनल हाई-वे को मिला है।
यहां हमीरपुर बाइपास समेत चिलबाग से भंगवाल तक के हिस्से को क्लीयरेंस मिली है। इन दोनों हिस्सों की मंजूरी गत करीब छह माह से अटकी थी।
इस मार्ग पर मटौर की तरफ से एक भाग का टेंडर पहले ही हो चुका है और इस हिस्से पर निर्माण कार्य भी शुरू हो गया है, जबकि आगे के दोनों हिस्सों की फाइल पर्यावरण मंत्रालय के पास फंसी थी।
अब इन दोनों मंजूरी के साथ ही मटौर से हमीरपुर तक नेशनल हाई-वे लगभग क्लीयर हो गया है। आगामी तीन सालों में यहां फोरलेन का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। इन दोनों पैकेज का काम एनएचएआई अगले एक से डेढ़ माह में एक साथ शुरू कर सकता है।
कैंथलीघाट से ढली के बीच दो हिस्सों में फोरलेन का निर्माण की किया जाना है। इनमें शकराल से ढली तक पहले चरण में मंजूरी मिल गई है और उम्मीद जताई जा रही है कि जुलाई में होने वाली बैठक में इस हिस्से को पूरी मंजूरी मिल जाएगी। इसके बाद यहां भी निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।
शिमला-कालका नेशनल हाई-वे पर सोलन से कैंथलीघाट के बीच डंपिंग साइट नहीं मिल पा रही थी। इस वजह से कंपनी प्रबंधन को ज्यादा खर्च उठाना पड़ रहा था। समय की भी बर्बादी हो रही थी।
कंपनी प्रबंधन ने एनएचएआई से अतिरिक्त जमीन की मांग की थी, ताकि इस जमीन को डंपिंग साइट के तौर पर विकसित किया जा सके, लेकिन यह मामला भी बीते छह माह से फोरेस्ट क्लीयरेंस से बाहर नहीं निकल पा रहा था।
अब क्लीयरेंस मिलने के बाद सोलन-कैंथलीघाट के हिस्से के निर्माण में तेजी आएगी। इसके अलावा एक मंजूरी पालमपुर में सियूणी से राजोल तक भी मिली है।
एनएचएआई ने साफ कर दिया है कि जिन प्रोजेक्ट को फोरेस्ट क्लीयरेंस मिल गई है, उनमें अब आगामी प्रक्रिया को तेज किया जाएगा।
क्षेत्रीय अधिकारी अब्दुल बासित ने कहा कि एनएचएआई बिना समय गंवाए सभी जरूरी औपचारिकताएं समय पर पूरा करेगी और प्रोजेक्ट का निर्माण तय अवधि में पूरा होगा।