अनुबंध सेवा को पेंशन के लिए गिने जाने के मामले में हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने अनुबंध सेवा को पुरानी पेंशन के लिए गिने जाने के आदेश दिए हैं।
खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि कर्मचारी की सेवा योग्यता उस तारीख से शुरू होती है, जिस तारीख से वह कार्यभार ग्रहण करता है। चाहे वो नियुक्ति अस्थायी हो या स्थायी।
अनुबंध सेवा को सीसीएस (पेंशन) नियमए 1972 की प्रयोज्यता के उद्देश्य के लिए गिना जाना उचित है। अदालत ने डाक्टर उमेश कुमार की याचिका को स्वीकार करते हुए यह निर्णय सुनाया।
अदालत ने सरकार के 18 अक्तूबर, 2021 के उस निर्णय को रद्द कर दिया, जिसके तहत याचिकाकर्ता को पेंशन का लाभ न दिए जाने का निर्णय लिया था।
याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष दलील दी कि उसकी नियुक्ति चिकित्सक के रूप में 31 जनवरी , 1997 में अनुबंध आधार पर की गई थी। उसकी सेवाओं को वर्ष 2007 में नियमित किया गया।
दलील दी गई कि सरकार ने दस वर्ष तक उसकी सेवाओं को नियमित नहीं किया, जबकि उसे स्थायी कर्मचारी के सभी सेवा भत्ते दिए।
वर्ष 2010 में विभाग ने याचिकाकर्ता और समानांतर कर्मचारियों को आदेश दिए कि वे नई पेंशन स्कीम (अंशदायी पेंशन स्कीम) के भागीदारी बनें।
याचिकाकर्ता और अन्य ने इस निर्णय को हाई कोर्ट के समक्ष चुनौती दी। अदालत ने अंतरिम आदेश पारित कर इन आदेशों पर स्थगित कर दिया था और बाद में 30 नवंबर 2010 को फैसला सुनाते हुए इन्हें पुरानी पेंशन का लाभ दिए जाने के आदेश दिए थे।
याचिकाकर्ता 31 दिसंबर, 2020 को सेवानिवृत्त हो गया था। उसके बाद विभाग ने उसे पुरानी पेंशन का लाभ दिए जाने को खारिज कर दिया।
अदालत ने मामले से जुड़े रिकार्ड का अवलोकन करने के बाद अपने निर्णय में कहा कि याचिकाकर्ता पुरानी पेंशन का हक रखता है। अदालत ने विभाग को छह हफ्ते के भीतर सभी सेवा लाभ देने के आदेश दिए है।