एनटीटी भर्ती के लिए अब चंडीगढ़ फार्मूला; विभाग का प्लान, आंगनबाड़ी केंद्रों में होंगी प्री-नर्सरी क्लासेस

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शिमला : फ्री नर्सरी टीचर्स यानी एनटीटी शिक्षकों की भर्ती के लिए शिक्षा विभाग अब चंडीगढ़ फार्मूले पर विचार करने जा रहा है। शिक्षा सचिव राकेश कंवर की अध्यक्षता में हुई प्रारंभिक शिक्षा विभाग और समग्र शिक्षा की समीक्षा बैठक में तय किया गया है कि एक बार फिर महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ बैठक की जाए।

इस बैठक के जरिए चंडीगढ़ फार्मूले पर स्कूल के नजदीक या स्कूल में ही मौजूद आंगनबाड़ी केंद्र में ही प्री-नर्सरी की कक्षाएं शुरू करने की संभावना देखी जाएगी। भारत सरकार और राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी इसके लिए ‘शिक्षा भी और पोषण भी’ का फार्मूला पहले से मौजूद है।

हालांकि स्टैंड अलोन आंगनबाड़ी केंद्रों में यह फार्मूला काम नहीं आएगा। समीक्षा बैठक में तय हुआ है कि शिक्षा सचिव पहले महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ चर्चा करेंगे और उसके बाद शिक्षा मंत्री को बताया जाएगा।

जहां तक एनटीटी कोर्स की बात है, तो 2 साल की अवधि का यह कोर्स राज्य सरकार की अपनी डाइट में शुरू किया जाएगा। राज्य सरकार की कोशिश है कि आगामी शिक्षा सत्र से 500 प्राइमरी, 100 हाई, 200 सीनियर सेकेंडरी स्कूलों और 50 डिग्री कॉलेज को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया जाए।

प्राइमरी स्कूल में ही कम से कम पांच टीचर दिए जाएंगे। यहां एडमिशन बढ़ाने पर भी फोकस होगा। प्रारंभिक और उच्च शिक्षा विभागों के निदेशकों को इस बारे में प्रोग्रेस रिपोर्ट सचिवालय भेजने को कहा गया है।

इस बैठक में उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ अमरजीत शर्मा, समग्र शिक्षा के प्रोजेक्ट डायरेक्टर राजेश शर्मा के अलावा निदेशालय और सचिवालय के अधिकारी भी मौजूद थे।

40% स्कूल क्लस्टर नहीं बने, चंबा सबसे पीछे

शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने स्कूल क्लस्टर बनाने के फैसले को लागू करने की भी समीक्षा की। रिपोर्ट में पता चला कि 40 फ़ीसदी क्लस्टर अभी बने नहीं है। इसमें चंबा सबसे फिसडी साबित हुआ है। यहां 80 फ़ीसदी क्लस्टर बनना अभी पेंडिंग है।

पूरे प्रदेश में 4123 क्लस्टर बनाए जाने थे, जिनमें से सिर्फ 2300 क्लस्टर बने हैं। इस दौरान शिक्षा सचिव ने उपनिदेशकों की जिम्मेदारी तय करने की बात कही है। इस बैठक में स्कूल एडॉप्शन पॉलिसी पर भी आगे काम करने के निर्देश दिए गए।

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