ऊँचाई पर पाया जाता है यह पौधा
यहाँ होता है भारी मात्रा में
बुरांस भूटान, नेपाल, म्यंनमार, भारत, श्रीलंका, पाकिस्तान, थाईलैंड और चीन में पाया जाता है। हिमाचल में यह फूल भरपूर मात्रा में पाया जाता है। शिमला, कांगड़ा, सोलन, धर्मशाला और किन्नौर में इस फूल का प्रयोग अचार, मुरब्बा और जूस के रूप में किया जाता है। जोगिन्दरनगर क्षेत्र के तहत यह पौधा चौहार घाटी,सिकन्दर धार,बिलिंग की पहाड़ियों में भी बहुत संख्या में पाया जाता है.
धर्मशाला में है नर्सरी
धर्मशाला में चिन्मय संत तपोवन में इस फूल की नर्सरी है और भारत के अनेक भागों में इसकी सप्लाई की जाती है। भारत में अन्य भागों में भी यह सूल उगता है लेकिन हिमाचल के बुरांस की सुंदरता देखते ही बनती है.
300 प्रजातियाँ हैं
बुरांस की लगभग 300 प्रजातियां पाई जाती हैं। वैसे तो बुरांस के फूल लाल और गुलाबी रंग के होते हैं लेकिन हिमाचल में कईं स्थानों पर सफेद बुरांस भी देखा जा सकता है। सफेद बुरांस बर्फीले क्षेत्रों में पाया जाता है और ओक वृक्ष के नीचे उगता है। वैज्ञानिक तरीके से सिद्ध किया गया है कि ओक वृक्ष की छाया में यह वृक्ष बहुत अच्छी तरह उगता है।
नेपाल का है राष्ट्रीय फूल
बुरांस नेपाल का राष्ट्रीय फूल है और नेपाली में इसे लाल गुरांस कहते हैं। इसके अलावा उतराखण्ड और नागालैण्ड का राज्य फूल है जबकि गुलाबी बुरांस को हिमाचल के राज्य फूल का दर्जा दिया गया है। मुगल इतिहास में कहा जाता है कि शाहजहां की पत्नी मुमताज महल को बुरांस का फूल बहुत पसंद था। इसलिए रानी के लिए हर शुक्रवार शिमला से बुरांस के फूलों का गुच्छा मंगवाया जाता था।
गुणों की खान है यह फूल
बुरांस का फूल में बहुत से औषधीय गुण पाए जाते हैं। यह फूल दिल की बीमारी, डायबीटीज, कैसर और लिवर के लिए बहुत लाभकारी है। बुरांस के फूल में मीथेनाॅल होता है जो कि डायबीटिज के रोगियों के लिए फायदेमंद है। यह शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को नियमित रखता है और हायपरटेंशन और डायरिया में भी लाभकारी है। बुरांस में विटामिन ए, बी-1, बी-2, सी, ई और के पाई जाती हैं जो की वजन बढने नहीं देते और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल रखता है। Quercetin और Rutin नामक पिंगमेंट पाए जाने के कारण बुरांस अचानक से होने वाले हार्ट अटैक के खतरे को कम कर देता है। इसका शर्बत दिमाग को ठंडक देता है और एक अच्छा एंटीऑक्सीडेंट होने के कारण त्वचा रोगों से बचाता है। बराह के फूलों की चटनी बहुत ही स्वादिष्ट होती है जो कि लू और नकसीर से बचने का अचूक नुस्खा है। इसकी पंखुड़ियां लोग सुखाकर रख लेते हैं और सालभर इसका लुत्फ़ उठाते हैं।