हिमाचल में नेशनल हाईवे के आठ में से एक प्रोजेक्ट को ही फोरेस्ट क्लीयरेंस मिल पाई है। जबकि सात अन्य को अगली मीटिंग तक होल्ड पर रखा गया है।
जिन परियोजनाओं को मंजूरी नहीं मिली है, उन पर अब मार्च में चर्चा होगी, जबकि मंजूरी के बाद इकलौती परियोजना का काम अब शुरू हो जाएगा। कालका-शिमला नेशनल हाई-वे के आखिरी हिस्से कैंथलीघाट से ढली तक का निर्माण दो भागों में होना है। इनमें पहले भाग कैंथलीघाट से शकराल तक फोरेस्ट क्लीयरेंस की प्रक्रिया पूरी हो गई है।
इस हिस्से के निर्माण में अब कोई अड़चन नहीं बची है। गौरतलब है कि फोरलेन में बदले जा रहे इस हिस्से की कुल लंबाई 17.465 किलोमीटर है और 1844.77 करोड़ रुपए में मार्ग का निर्माण होना है।
इस मार्ग में दो सुरंग और 20 पुल आ रहे हैं। इसके अलावा एक अंडरपास और एक मेजर जंक्शन का भी निर्माण होगा। गौरतलब है कि नेशनल हाई-वे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने 11 जुलाई, 2022 को नेशनल हाई-वे के निर्माण की टेंडर प्रक्रिया पूरी की थी।
यह प्रक्रिया दोनों चरणों के लिए पूरी की गई है। इनमें शकराल से ढली तक करीब 11 किलोमीटर नेशनल हाई-वे का निर्माण होना है। इसके लिए 2070 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है। इस हिस्से में तीन सुरंग और सात पुलों का निर्माण किया जाएगा।
इनमें एक तीन कुतुब मीनार जितना एक्स्ट्राडोज पुल भी शामिल है, जबकि एक सुरंग संजौली बाजार के ठीक नीचे से बनेगी और यह इस पूरे मार्ग की सबसे बड़ी सुरंग होगी।
इसका दूसरा सिरा ढली में जाकर खुलेगा। हालांकि अभी तक नेशनल हाई-वे के इस हिस्से को मंजूरी नहीं मिली है और अब यहां काम शुरू होने में एक और महीने का वक्त लग सकता है।
उधर, पहले चरण में कैंथलीघाट से शकराल तक मंजूरी मिलने के बाद अब इस हिस्से के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
दरअसल, एनएचएआई ने जिस फर्म को निर्माण का टेंडर दिया है उसे इस मार्ग को आगामी तीन साल में पूरा करना है और निर्माण की समयसीमा काम शुरू होने के पहले दिन से गिनी जाएगी।
एनएचएआई ने इस प्रोजेक्ट को जनवरी से शुरू करने का प्लान तैयार किया था, लेकिन फोरेस्ट क्लीयरेंस न मिलने की वजह से दो महीने की देरी हुई है।
अभी भी छह अन्य प्रोजेक्ट ऐसे हैं, जिन पर फैसला अब वन और पर्यावरण विभाग की अगली बैठक में होगा।
क्लीयरेंस के बाद सीधे निर्माण
फोरेस्ट क्लीयरेंस के बाद अब नेशनल हाई-वे का निर्माण सीधे शुरू हो पाएगा, जबकि पहले अंतिम मंजूरी के लिए फाइल को सुप्रीम कोर्ट में भेजना पड़ता था।
इस प्रक्रिया में एक से दो साल तक का समय लग जाता था और प्रोजेक्ट के शुरू होने में देरी होती थी, लेकिन पिछले साल जून महीने में सुप्रीम कोर्ट ने एनएचएआई की एक याचिका में इस प्रबंध को हटा दिया है।
अब राज्य के वन विभाग और केंद्र के वन और पर्यावरण विभाग को ही काम शुरू करने के लिए अंतिम मंजूरी माना जाता है। ऐसे में फोरेस्ट क्लीयरेंस के बाद एनएचएआई नेशनल हाई-वे का काम शुरू करवाने के लिए स्वतंत्र है।
कांगड़ा, हमीरपुर और मंडी में अभी इंतजार
शिमला-मटौर और पठानकोट-मंडी नेशनल हाई-वे में फोरलेन निर्माण के लिए फोरेस्ट क्लीयरेंस का इंतजार और बढ़ गया है।
इस बार फोरेस्ट क्लीयरेंस के लिए शिमला-मटौर के चार, पठानकोट-मंडी के दो और कैंथलीघाट-ढली के दो प्रोजेक्ट लगे थे, लेकिन इन आठ मामलों में से एक को मंजूरी मिली है, जबकि सात अन्य का फैसला अब अगले महीने होगा।