हिमाचल प्रदेश देवी -देवताओं की भूमि है तथा यहाँ हर देवी -देवता की अपनी महिमा है. ऐसे ही प्रदेश के सबसे बड़े देव हैं कमरुनाग जिनके पवित्र स्थल की महिमा भी बड़ी विचित्र है. प्रदेश के लोगों की आस्था का केंद्र देव कमरुनाग का पवित्र स्थल हिमाचल प्रदेश में मंडी से 60 किलोमीटर दूर रोहांडा की पहाड़ी की ऊँची चोटी पर स्थित है. मंडी में मनाए जाने वाले अन्तर्राष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव का आगाज़ देव कमरुनाग के आने के साथ ही होता है.
मंदिर में पहुंचना है थोड़ा कठिन
इस पवित्र स्थल पर पहुंचना थोड़ा कठिन है लेकिन लोगों की आस्था ऐसी है कि कोई भी कठिनाई हो लोग इनके दर्शन करने इनके पवित्र मंदिर पहुंच जाते हैं चाहे वह बूढ़े ,जवान या बच्चे हो । कमरुनाग का मंदिर जिला मंडी से 60 किलोमीटर दूर स्थित रोहांडा गांव है यही से कमरुनाग देवता के मंदिर की पैदल यात्रा शुरू होती है। यह पद यात्रा लगभग 3 घंटे की होती है।
महाभारत के गवाह रह चुके हैं
हिमाचल प्रदेश में सबसे बड़े देवता जो महाभारत के गवाह रह चुके हैं तथा हिमाचल वासी जो वर्षा न होने पर इनसे प्रार्थना करते हैं वो देव है मंडी जिला की रोहांडा की पहाड़ी में स्थित कमरूनाग महादेव। कमरुनाग देवता भीम के पुत्र घटोतकच के पुत्र है जिनका वर्णन महाभारत में राजा रत्न यक्ष के रूप में मिलता है। रत्न यक्ष भीम के पौत्र जो बहुत शक्तिशाली थे उनको युद्ध में किसी भी पक्ष से आमंत्रित नहीं किया गया तो उन्होंने निर्णय लिया कि वह स्वंय युद्ध में जायेंगे और जो पक्ष हार रहा होगा उसका साथ देंगें। लेकिन भगवान श्री कृष्ण ने गुरु दक्षिणा में उनसे उनका शीश माँगा।
पांडवों के अधिष्ठाता देव हैं
रत्न यक्ष ने युद्ध देखने के लिए भगवान श्री कृष्ण से आग्रह किया। श्री कृष्ण ने इनके शीश को रो ऊँची पहाड़ी में रखा और उसे पत्थर से बाँध कर पांडवों की सेना की तरफ कर दिया ताकि उनकी शक्ति की दृष्टि से पांडव युद्ध जीत जाएँ। पांडवों ने भी रत्न यक्ष को पूजा और राज्य अभिषेक इन्हीं से करवाया। पांडवों ने इन्हें अपना अधिष्ठाता माना तथा इनको कमरुनाग नाम देकर स्थापित किया इसके बाद से ही मंडी में इनको बड़ा देव के रूप में पूजा जाने लगा। इनके बड़े होने का प्रमाण है कि जब भी यह मंडी में शिवरात्रि महोत्सव के लिए प्रवेश करते हैं तो मंडी के जिला अधिकारी स्वागत के लिए खड़े रहते हैं।
दर्शन मात्र से ही होता है कल्याण
शिवरात्रि महोत्सव में 200-300 देवी – देवताओं को आमंत्रित किया जाता है तथा जब ये देवी देवता ख़ुशी में नाचते हैं तो वह दृश्य बहुत ही मनलुभावना होता है। एक अलग ही शक्ति हम अपने अंदर महसूस करते हैं। आपको हम बता दें कि जब भी आप कमरुनाग और अन्य देवी देवताओं के आगे नतमस्तक होंगे तो आपके अंदर की नकारात्मक ऊर्जा आपके आंसुओं के रूप में खुद ब खुद बाहर आने लगेगी। ये हिमाचली देवी-देवताओं की शक्ति का ही असर है।शिवरात्रि के महाकुंभ में देव कमरुनाग के दर्शनों की कतारें लगी रहती है।
रोहांडा की पहाड़ी में स्थित है मंदिर
देव कमरुनाग जी का पवित्र स्थल रोहांडा की पहाड़ी की ऊँची चोटी पर मौजूद है जहां पहुंचना थोड़ा कठिन है लेकिन लोगों की आस्था ऐसी है कि कोई भी कठिनाई हो लोग इनके दर्शन करने इनके पवित्र मंदिर पहुंच जाते हैं चाहे वह बूढ़े ,जवान या बच्चे हो । कमरुनाग मंडी से 60 km दूर स्थित रोहांडा गांव है यही से कमरुनाग देवता के मंदिर की पैदल यात्रा शुरू होती है। यह पद यात्रा लगभग 3 घंटे की होती है।
यहाँ स्थित है एक अनोखी झील
कमरुनाग देवता को इच्छाओं को पूरा करने वाला देवता भी कहते हैं यहाँ मंडी के ही नहीं बल्कि पूरे हिमाचल के लोग मनत मांगने आते हैं। कमरुनाग मंदिर के साथ में एक झील भी है जिसको संसार की अनोखी झील कहना गलत नहीं होगा। ऐसी मान्यता है कि श्री कृष्ण जी ने रत्न यक्ष के लिए पानी पीने के लिए इसे स्थापित किया था। देव कमरुनाग जब लोगो की इच्छाएं पूरी कर देते हैं तो लोग अपनी इच्छा पूर्ति होने पर इस झील में सोना चांदी और पैसे चढ़ाते हैं।
झील में छुपा है दुनिया का सबसे बड़ा खजाना
आप लोग जानकर हैरान होंगें कि इस झील में दुनिया का सबसे बड़ा खजाना छिपा है। इसे कभी भी बाहर नहीं निकला गया है। इस खजाने की रक्षा स्वंय नाग देवता करते हैं। इसे देवताओं का खजाना बोला जाता है। जिस ने भी इसे चुराने की कोशिश की वह इस दूनिया में जीवित नहीं रहा है। यहाँ सांप के आकार का पेड़ भी है। ऐसा बोलते हैं कि यही पेड़ रात को सांप का रूप ले लेता है। इसे झील का रक्षक भी कहते हैं।
14 से 16 जून तक लगता है मेला
गर्मियों में कमरुनाग देवता के मंदिर में मेले का आयोजन होता है जो तीन दिन 14 जून से 16 जून तक चलता है। इस मेले में लोग छोटे- छोटे बच्चों को लेके आते हैं ताकि उनके बच्चों को कमरुनाग की कृपा हो। मंदिर परिसर की ओर से लोगो के रहने का इंतजाम भी किया जाता है। सावन के महीने में इनके दर्शन करना सौभाग्य की बात है। कमरुनाग को वर्षा के देवता भी कहा जाता है। जब क्षेत्र में वर्षा नहीं होती तो लोग कमरुनाग जी के पास फ़रियाद लेकर जाते हैं और कमरुनाग जी उनकी प्रार्थना सुनकर वर्षा भी करते हैं। अगर देवता रुष्ट हो जाये तो क्षेत्र में अकाल की भी स्थिति आ जाती है।
जी न्यूज़ के एंकर भी पहुंचे थे यहाँ
कमरुनाग झील के खजाने की सच्चाई जानने के लिए जी न्यूज़ के एंकर भी यहाँ पहुंचे लेकिन धार्मिक आस्था की प्रतीक झील के रहस्यों को जानकर स्तब्ध हो गए। आप अगर कमरुनाग देवता के मंदिर में जाकर इस अदभूत झील के दर्शन करने की सोच रहे हो तो आप कमरुनाग झील के साथ-साथ शिकारी देवी माता के दर्शन भी कर सकते हैं। ये ट्रिप आप तीन दिन का बना सकते हो क्योंकि एक दिन में आप ये यात्रा पूरी नहीं कर सकते। शिकारी माता का मंदिर भी बहुत चमत्कारी है। इसके बारे में हम आपको अगले आर्टिकल में बताएगें। हिमाचल प्रदेश में बहुत ही चमत्कारी और रहस्यमय मंदिर है जिनके बारे में जानने और समझने के लिए इसकी गहराइयों में जाना होगा।