हिमाचल प्रदेश में चिट्टे की तस्करी के खिलाफ राज्य सरकार और पुलिस विभाग द्वारा चलाए जा रहे अभियान में एक बड़ा और चिंताजनक खुलासा हुआ है। जांच में यह सामने आया है कि इस अवैध कारोबार में सरकारी तंत्र के लोग भी शामिल हैं।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, नशे की तस्करी से जुड़े मामलों में कुल 60 सरकारी कर्मचारियों की संलिप्तता पाई गई है, जिसमें से एक महत्त्वपूर्ण संख्या 15 पुलिसकर्मियों की है।
यह खुलासा हिमाचल प्रदेश में नशा-विरोधी मुहिम की गंभीरता और उससे जुड़ी चुनौतियों को दर्शाता है, खासकर जब कानून लागू करने वाली संस्था के लोग ही इस दलदल में फंसे हुए पाए जा रहे हैं।
इस खुलासे के बाद हिमाचल सरकार ने तत्काल और सख्त प्रशासनिक कार्रवाई शुरू कर दी है। संलिप्त पाए गए पुलिस कर्मियों में से पांच को तुरंत प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया है, जो यह दर्शाता है कि भ्रष्टाचार और नशे की तस्करी में संलिप्तता के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जा रही है।
अन्य संलिप्त सरकारी कर्मचारियों और पुलिस कर्मियों के विरुद्ध भी कानूनी कार्रवाई को अमल में लाया जा रहा है।
सरकार का यह कदम स्पष्ट संकेत देता है कि प्रदेश में नशे के नेटवर्क को तोडऩे के लिए किसी भी स्तर पर समझौता नहीं किया जाएगा, भले ही इसमें सरकारी कर्मचारी क्यों न शामिल हों।
कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए सरकार ने पुलिस विभाग को इस संबंध में एक महत्त्वपूर्ण निर्देश दिया है। विभाग से कहा गया है कि वह 10 दिसंबर तक चिट्टा तस्करी में संलिप्त पाए गए सभी सरकारी कर्मचारियों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करे।
यह मांग प्रशासनिक स्तर पर एक बड़ी समीक्षा और शुद्धिकरण की ओर इशारा करती है। हिमाचल सरकार की यह मुहिम न केवल प्रदेश में ड्रग्स के खतरे को समाप्त करने पर केंद्रित है, बल्कि सरकारी तंत्र के भीतर से भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों को जड़ से उखाडऩे की दिशा में भी एक मजबूत और निर्णायक कदम है।
बढ़ गया लालच
सरकारी नौकरी में होने के बावजूद नशे के काले कारोबार में संलिप्त लोगों की मदद करने वालों ने ये साबित कर दिया है कि लोगों में लालच बहुत बढ़ गया है और इसके लिए वे किसी भी हद तक जा सकते हैं।
हालांकि अब ऐसे लोगों को सूचीबद्ध कर घर भेजने की तैयारी शुरू हो गई है, लेकिन छोटे से राज्य में 60 सरकारी कर्मचारियों की संलिप्ता सामने आने से अंदाजा लगाया जा सकता है और अन्य कितने ऐसे लोग होंगे, जिनका अभी पता नहीं चल पाया है।
हालांकि पुलिस व खुफिया एजेंसियां अभी ऐसे चेहरों को बेनकाब करने के लिए पैनी नजर बनाए हुए हैं।




























