हिमाचल 16 दिसंबर को अपने उन जाबाजों को नमन करेगा, जिन्होंने पाक को दो टुकड़ों में बांट कर मानचित्र ही बदल दिया। 16 दिसंबर को विजय दिवस मनाया जा रहा है।
यह वह ऐतिहासिक दिन है, जब 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय सेना की विजय के साथ बांग्लादेश का जन्म हुआ और 93000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया। इस 13 दिवसीय युद्ध में पूरे देश के जांबाजों ने अदम्य साहस दिखाया।
इनमें हिमाचल प्रदेश के वीरों का योगदान अतुलनीय रहा। इस युद्ध में हिमाचल के लगभग 261 सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी। यह वीर ज्यादातर डोगरा रेजिमेंट का हिस्सा थे।
इनका संबंध कांगड़ा, मंडी, कुल्लू, बिलासपुर और ऊना जिलों से रहा है। हिमाचल के इन जवानों ने पूर्वी और पश्चिमी दोनों मोर्चों पर पाकिस्तानी सेना को घुटने टेकने पर मजबूर किया। सरमानी की लड़ाई में 13 डोगरा रेजिमेंट ने दुश्मन की मजबूत चौकियों को ध्वस्त किया।
धर्मशाला में युद्ध स्मारक
कांगड़ा जिला के धर्मशाला में शहीदों की स्मृति में विशेष दीवारें बनी हैं। यह स्मारक 1947-48, 1962, 1965 और 1971 के युद्धों के साथ-साथ शांति मिशनों में शहीद हुए जवानों को समर्पित है।
1700 जवान देश पर कुर्बान
स्वतंत्रता के बाद से अब तक हिमाचल के लगभग 1700 सैनिक देश के लिए शहीद हो चुके हैं। डोगरा रेजिमेंट ने 1971 में सरमानी, सुादीह और चौद्धग्राम क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका निभाई।
मंडी के इन सपूतों ने पाई शहादत
मंडी के सिपाही कृष्ण चंद और रायफलमैन नरोत्तम राम शहीद हुए थे। सरमानी लड़ाई में डोगरा रेजिमेंट के कई जवान शहीद हुए हैं।
इनमें हवलदार सुखदेव सिंह, नायक रोशन लाल, सिपाही मनोहर लाल शर्मा और दूनी चंद शामिल हैं और इनका संबंध कुल्लू, मंडी व कांगड़ा से रहा है।
आज मंडी में मनाया जाएगा विजय दिवस
एक्स सर्विसमैन लीग मंडी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सेवानिवृत्त कैप्टन हेतराम शर्मा ने बताया कि भारतीय सेना की ऐतिहासिक विजय की स्मृति में 54वां विजय दिवस का आयोजन 16 दिसंबर को शहीद स्मारक, संकन गार्डन, इंदिरा मार्केट में किया जाएगा।