हमारे देश में भगवान शिव के कई प्राचीन मंदिर हैं। देवभूमि उत्तराखंड में चार धाम के अलावा शिव मंदिर भी हैं, जिनका इतिहास बहुत पुराना है, इन्हीं में से एक है तुंगनाथ मंदिर। यह दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है।
तुंगनाथ मंदिर की गिनती पंच केदार में की जाती है, जोकि उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय क्षेत्र में स्थित पांच पवित्र जगहों में से एक है, हालांकि यह चार धाम यात्रा से अलग है।
पौराणिक कथा के मुताबिक कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद पांडवों से भगवान शिव नाराज हो गए थे। पांडव भगवान शिव से क्षमा मांगना चाहते थे। जिसके तहत पांच अलग-अलग स्थानों पर पांच मंदिरों की स्थापना हुई।
जिसमें केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर शामिल हैं। इनमें से तुंगनाथ मंदिर तीसरा और सबसे अहम शिव मंदिर है।
सबसे ऊंचा शिव मंदिर- तुंगनाथ मंदिर न सिर्फ पंच केदार मंदिरों में सबसे ऊंचा है, बल्कि यह विश्व का भी सबसे ऊंचा शिव मंदिर है। यह मंदिर 3,680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
तुंगनाथ मंदिर- बद्री केदार मंदिर समिति द्वारा उत्तराखंड में स्थित तुंगनाथ मंदिर के खुलने की तारीख तय की जाती है। उत्तराखंड में चार धामों की शुरुआत के साथ तीसरे केदार तुंगनाथ का उद्घाटन होता है।
आमतौर पर अप्रैल या मई में वैशाख पंचमी पर यह मंदिर भक्तों के लिए खुल जाता है।
ट्रैक के जरिए पहुंचे- तुंगनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको उत्तराखंड के चोपता आना होगा। चोपता से तुंगनाथ तक का ट्रैक करीब 3.5 किमी. का है।
हालांकि यह ट्रैक ज्यादा मुश्किल नहीं है, लेकिन इसको आसान भी नहीं कहा जा सकता है। इस ट्रैक के दौरान आपको घास के मैदान और बर्फ से ढके पहाड़ों को देखकर आपका दिल खुश हो जाएगा।
चोपता से तुंगनाथ पहुंचने में करीब 2 से 3 घंटे तक का समय लगता है।
ऐसे पहुंचे चोपता- उत्तराखंड के चोपता से तुंगनाथ ट्रैक की शुरुआत होती है। ऐसे में आपको सबसे पहले हरिद्वार या ऋषिकेश पहुंचना होगा, फिर वहां से चोपता के लिए बस या टैक्सी करें या फिर आप उखीमठ से बस ले सकते हैं।
उखीमठ से आप लोकल टैक्सी ले सकते हैं। चोपता उत्तराखंड का बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन है और इसको भारत का मिनी स्विटजरलैंड भी कहा जाता है।
चंद्रशिला शिखर- बता दें कि तुंगनाथ मंदिर पहुंचने के बाद आप केदारनाथ, नंदा देवी, त्रिशूल और चौखंबा की राजसी चोटियों को भी देख सकते हैं।
मंदिर तक जाने के बाद अगर आप चंद्रशिला शिखर तक जाना चाहते हैं, तो आपको तुंगनाथ मंदिर से आगे 1.5 किमी. जाना होगा। पौराणिक कथाओं के मुताबिक इस शिखर पर भगवान श्रीराम ने ध्यान किया था।