हिमाचल में पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल समाप्त होने से पहले परिसीमन और आरक्षण रोस्टर पूरा करने के उच्च न्यायालय के निर्देश अभी तक पूरा नहीं हो पाए हैं।
उच्च न्यायालय ने अपने 2020 के फैसले में राज्य को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया था कि पंचायती राज संस्थाओं के लिए परिसीमन और आरक्षण रोस्टर प्रक्रिया मौजूदा निकायों के कार्यकाल की समाप्ति से पहले पूरी की जाए।
इसके बावजूद राज्य चुनाव आयोग के हालिया पत्राचार से संकेत मिलता है कि कई जिला प्रशासनों ने निर्देश का पालन नहीं किया है। इससे राज्य में पंचायत चुनावों के समय को लेकर अनिश्चितता पैदा हो गई है।
राज्य चुनाव आयुक्त अनिल खाची ने 10 सितंबर, 2025 को लिखे एक पत्र में पंचायती राज निदेशक के माध्यम से सभी उपायुक्तों को 25 सितंबर, 2025 तक आरक्षण प्रक्रिया को अंतिम रूप देने और आयोग तथा पंचायती राज विभाग को विवरण भेजने का निर्देश दिया था।
इस पत्र में उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला दिया गया था कि पंचायती राज संस्थाओं में पदों के आरक्षण की अधिसूचना चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से कम से कम तीन महीने पहले राज्य चुनाव आयोग की वेबसाइट पर प्रकाशित और अपलोड की जानी चाहिए।
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि कई जिलों ने निर्धारित समय सीमा के भीतर यह प्रक्रिया पूरी नहीं की है। वर्तमान पंचायती राज निकायों का कार्यकाल लगभग पूरा होने वाला है।
ऐसी स्थिति में चुनाव कार्यक्रम को लेकर अस्पष्टता बढ़ती जा रही है। राष्ट्रव्यापी जनगणना में देरी ने भी इस चुनौती को और बढ़ा दिया है। इस जनगणना की 2021 में पूरा होने की उम्मीद थी, लेकिन यह अभी तक स्थगित है।