हिमाचल प्रदेश में रहने वाले 75 लाख लोगों को सुक्खू सरकार फ्री में पानी पिलाएगी। शहरी क्षेत्रों में पानी के बिल की वसूली बंद करने की कवायद शुरू कर दी गई है।
इसके साथ ही शहरी क्षेत्रों में जल शक्ति विभाग द्वारा जारी किए गए भारी भरकम पेंडिंग पानी बिलों के भुगतान को भी बंद कर दिया जाएगा।
इसी के साथ ग्रामीण इलाकों में विभाग द्वारा लगाए गए नलों पर भी कोई पानी का बिल नहीं देना आएगा। जल शक्ति विभाग प्रदेश में पानी के बिलों से सालाना करीब 40 करोड़ रुपए की आय अर्जित कर रहा है।
ऐसे में सरकार द्वारा लोगों को पानी फ्री में पिलाए जाने की कवायद शुरू होने के बाद विभाग के संचालन का भार सरकार को ही उठाना पड़ेगा।
जल शक्ति विभाग फ्री पानी पिलाने की कवायद को सिरे चढ़ाने से पहले शहरी विकास विभाग से चर्चा कर रहा है। बताया जा रहा है कि इस मसले को केंद्रीय शहरी विकास विभाग के आलाधिकारियों के समक्ष भी रखा गया है।
शहरी विकास विभाग की हरी झंडी मिलने के बाद ही शहरियों को मुफ्त पानी पिलाने की कवायद सिरे चढ़ पाएगी। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में शहरी क्षेत्रों में पेंडिंग चल रहे भारी-भरकम पाने के बिलों की अदायगी भी रोकी जा रही है।
जल शक्ति मंत्री स्तर से यह आदेश दिए गए हैं कि फिलहाल शहरी क्षेत्रों में पानी के पुराने बिल की वसूली न कर पानी की वर्तमान खपत के आधार पर बिल उपभोक्ताओं को दिए जाएं।
हिमाचल में शहरी क्षेत्रों में ही फिलहाल सौ करोड़ के बिल बकाया हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में बिल वसूली न किए जाने की सूरत में करीब 210 करोड़ का नुकसान होना तय है। हिमाचल के कुल 32 शहरों में अढ़ाई लाख नल कनेक्शन स्थापित किए गए हैं।
पानी पिलाने पर अभी तक खर्चे तीन सौ करोड़
हिमाचल में जल आपूर्ति पर कुल खर्च 300 करोड़ रुपए से अधिक रहा है। इसमें जेजेएम और अमृत योजनाओं के तहत केंद्र व राज्य सरकार की हिस्सेदारी शामिल है। अक्तूबर 2025 तक 4.48 करोड़ का व्यय दर्ज किया गया।
यह वार्षिक लक्ष्य का 3.95 प्रतिशत है। कुल परियोजना लागत 3000 करोड़ रुपए से अधिक की है। इसमें पाइपलाइन बिछाने, जल शोधन संयंत्र स्थापित करने और रखरखाव का खर्च शामिल है।
शहरी विकास विभाग से जारी है चर्चा
हिमाचल प्रदेश के लोगों को फ्री में पानी पिलाने की कवायद चल रही है। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा है कि शहरी विकास विभाग से इस पर चर्चा की जा रही है।
जल शक्ति विभाग को पानी के पेंडिंग बिल वसूलने से मना किया गया है। शहरियों को वर्तमान पानी खपत के आधार पर ही बिल जारी किए जाने हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में किसी नल से बिल नहीं लिया जाएगा। पानी बिल से सिर्फ 40 करोड़ सालाना आय होती है। जल शक्ति विभाग को सरकारी सहयोग से ही चलाया जाएगा।