जब एक शिक्षक निष्काम भाव से अपने विद्यार्थियों के शैक्षणिक व सर्वांगीण विकास के लिए कृतसंकल्प होता है, तो उसे इन कर्मों का प्रतिफल भी अवश्य मिलता है।
कुछ ऐसा ही प्रतिफल प्राप्त हुआ है जिला सोलन की राजकीय केंद्रीय प्राथमिक पाठशाला शमरोड़ के जेबीटी शिक्षक शशि पॉल को।
शशि पॉल को पांच सितंबर को दिल्ली में शिक्षक दिवस पर आयोजित किए जाने वाले समारोह में राष्ट्रीय शिक्षक अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। वह पूरे हिमाचल प्रदेश से अकेले शिक्षक हैं, जिनका चयन इस अवार्ड के लिए हुआ है।
यह अवार्ड महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू प्रदान करेंगी। उनके चयन से पूरे सोलन जिला में खुशी की लहर है। उन्हें बधाई देने वालों का तांता लग गया है।
सोलन जिला की रामशहर तहसील के गांव भिनी जोरी में पिता राम लाल व माता कौशल्या देवी के घर जन्मे शशि पॉल ने अपने शिक्षण करियर की शुरुआत 11 अगस्त, 2011 को प्राथमिक विद्यालय नियारी से बतौर जेबीटी शिक्षक शुरू की।
शिक्षा के क्षेत्र में आने के साथ ही उन्होंने यह प्रण लिया कि वह अपने अध्यापन क्षेत्र में यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि कोई भी बच्चा, चाहे किसी भी पृष्ठभूमि का हो, पीछे न छूटे।
सीमिति संसाधनों या फिर आर्थिक तंगी के चलते कोई भी होनहार अपनी जिंदगी में आगे बढऩे से रुक न जाए। शशि पॉल ने अपने 14 वर्ष के अध्यापन काल में यह सुनिश्चित बनाया कि सीमित संसाधनों के बीच बच्चों को परिवर्तनकारी शिक्षा मिल पाए। उन्होंने व्यक्तिगत अधिगत स्तरों के लिए बहुस्तरीय शिक्षण रणनीतियों को लागू किया।
सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए टीम वर्क पर फोकस किया। उन्होंने आनंददायक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कम लागत वाली शिक्षण सामग्री और संसाधनों का उपयोग किया।
शिक्षा के साथ-साथ उन्होंने बच्चों को खेलों के प्रति रूझान बढ़ाने के लिए प्रेरित किया और कुठाड़ प्राथमिक स्कूल में शतरंज और बैडमिंटन का प्रशिक्षण भी बच्चों को दिया।
नतीजा यह रहा कि उनका प्रशिक्षण प्राप्त कर बच्चे न केवल जिला, बल्कि राज्यस्तर पर भी पहुंचे। वर्तमान में राजकीय केंद्रीय प्राथमिक पाठशाला शमरोड़ में सेवाएं दे रहे शशि पॉल ने स्कूल में बुनियादी ढांचे को दुरुस्त करने और अनुभावात्क शिक्षण को पहल देते हुए स्कूल में 10 कम्प्यूटरों वाली एक आधुनिक आईसीटी लैब स्थापित करने में मदद की।
उन्होंने सिंगापुर के शिक्षा मॉडल से प्रेरित होकर मूल्य आधारित और वास्तविक जीवन की शिक्षा को बढ़ावा दिया। राष्ट्रीय शिक्षा अवार्ड के लिए चयनित होने पर शशि पॉल ने कहा कि यह अवार्ड परिवार सहित उन सभी के लिए है, जिन्होंने इस पूरे सफर में मेरा सहयोग किया।
उनके बिना यह संभव नहीं था। विशेष सहयोग शिक्षा विभाग का है, जिन्होंने मेरी सोच को समर्थन दिया। इसके अतिरिक्त एनसीईआरटी, एससीईआरटी में लगने वाली कार्यशालाओं व वर्ष 2024 में सिंगापुर विजिट से भी बहुत कुछ सीखने को मिला है।
डिजिटल लर्निंग व ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से जगाई लौ
शशि पॉल का विजन कुछ अलग करने का था। जब मार्च 2020 में लॉकडाऊन लगा, तो उन्होंने पांच अप्रैल से ही व्हाट्सऐप व गूगल मीट के माध्यम से ऑनलाइन कक्षाएं शुरू कीं।
उन्होंने देखा कि प्राथमिक स्तर के कई बच्चे जवाहर नवोदय विद्यालय सहित अन्य प्रतियोगी व छात्रवृत्ति परीक्षाओं को पास करने में असहज महसूस करते हैं।
इसको देखते हुए उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रदीप कुमार के साथ मिलकर निशुल्क ऑनलाइन कोचिंग शुरू की।
इसके दीर्घकालिक परिणाम सामने आए और वर्ष 2021 से 2025 तक उनके 211 छात्रों का चयन जवाहर नवोदय विद्यालय के लिए हुुआ है। वहीं 24 छात्रों को कुल एक लाख 80 हजार की छात्रवृत्तियां प्राप्त हुई हैं।