शिमला: प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना की मंजूरी का इंतजार बरसात से पहले खत्म हो सकता है। राज्य से 2650 किलोमीटर की डीपीआर केंद्र सरकार को भेजी गई है। डीपीआर करीब 2600 करोड़ रुपए की है और इस डीपीआर पर मंजूरी का प्रस्ताव अब अंतिम चरण में है।
लोक निर्माण विभाग ने केंद्र सरकार से हिमाचल में पीएमजीएसवाई की मंजूरी जून महीने में करने का आह्वान किया है, ताकि बरसात के दौरान प्रदेश में टेंडर प्रक्रिया से जुड़े सभी कार्य पूरे कर लिए जाएं और बरसात के बाद इन सडक़ों का रखरखाव और निर्माण कार्य शुरू हो सके।
पीएमजीएसवाई में दिल्ली को प्रस्ताव भेजने के बाद केंद्र की एक टीम शिमला का दौरा कर चुकी है। इस टीम ने शुरुआत में 600 किलोमीटर में फुल डेप्थ रेक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक से सडक़ें बनाने पर सहमति जताई है।
इतना ही नहीं, लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर्स के लिए प्रशिक्षण कार्यशाला का भी आयोजन किया गया है। गौर हो कि प्रदेश में पीएमजीएसवाई के तीसरे चरण के लिए 3100 किलोमीटर की डीपीआर राज्य सरकार ने तैयार की है। इनमें करीब 450 किलोमीटर को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है।
जिन सडक़ों को केंद्र सरकार ने मंजूरी दी है, उनका निर्माण कार्य भी शुरू हो गया है, जबकि करीब 2650 किलोमीटर को अभी तक मंजूरी नहीं मिल पाई है।
प्रदेश में 20 जून के बाद से बरसात आने की संभावना रहती है और इस वजह से सडक़ निर्माण से संबंधित कार्य पूरे नहीं हो पाते हैं।
जून महीने में पीएमजीएसवाई चरण तीन की इन डीपीआर को मंजूरी नहीं मिली तो प्रदेश सरकार का प्रस्ताव बरसात के बाद पूरा होगा।
ऐसे में अब अधिकारी और राज्य सरकार लगातार केंद्र से जून महीने में ही पीएमजीएसवाई को मंजूरी का दबाव बना रहे हैं। यही वजह है जो 2650 किलोमीटर में से 600 किलोमीटर को पहले भाग में मंजूरी मिलने की संभावना बनी हुई है।
क्या कहते हैं अधिकारी
लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता अजय गुप्ता ने बताया कि लोक निर्माण विभाग पीएमजीएसवाई को लेकर सभी औपचारिकताएं राज्य सरकार की तरफ से पूरी कर ली गई हैं। इनका प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जा चुका है। उम्मीद है कि बरसात से पहले केंद्र सरकार इस योजना की मंजूरी देगी।