हिम टाइम्स – Him Times

महिलाओं की आजीविका का साधन बना मशरूम

प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की आजीविका के लिए मशरूम की खेती एक वरदान साबित हो रही है। जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआईसीए) द्वारा वित्त पोषित प्रदेश वन पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन एवं आजीविका सुधार परियोजना का प्रदेश के सात जिलों में कार्यान्वयन किया जा रहा है।

परियोजना के सहयोग से ग्राम वन विकास समितियों के स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की सामुदायिक आजीविका बढ़ाने के लिए 24 आय सृजन गतिविधियों की पहचान की गई है।

ग्रामीण क्षेत्रों में महिला स्वयं सहायता समूह अपनी आजीविका के लिए प्रौद्योगिकी संचालित आय सृजन गतिविधियों को अपना रही है। इसी वर्ष नवंबर माह में शिमला शहर के उपनगरों में घणाहट्टी के समीप ग्राम कंडा में एकता महिला स्वयं सहायता समूह को उनके गांव में जाइका वानिकी परियोजना के कर्मचारियों और विशेषज्ञों द्वारा बटन मशरूम की खेती के लिए उन्मुख किया गया था।

समूह ने किराए के कमरे में 10 किलोग्राम के 245 बीज वाले कम्पोस्ट बैग के साथ बटन मशरूम का उत्पादन शुरू किया। बटन मशरूम के उत्पादन में स्वयं सहायता समूह की महिला सदस्यों के लिए परियोजना के विशेषज्ञों द्वारा दिन-प्रतिदिन तकनीकी सहायता प्रदान की गई।

25 दिनों के बाद बटन मशरूम का उत्पादन शुरू हुआ और एक सप्ताह में समूह ने 200 किलोग्राम मशरूम का विपणन किया, जो एक सप्ताह में 20000 रुपए से अधिक की सकल वापसी के साथ 110-130 रुपए प्रति किलोग्राम की कीमत पर मिल रहा है।

इस उद्यम में समूह की यह पहली सफलता थी, जिसके लिए उन्हें औपचारिक रूप से प्रशिक्षित नहीं किया गया था और उनके प्रदर्शन स्थल पर परियोजना विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में दिन-प्रतिदिन के संचालन के दौरान सीखा।

उत्पादन लगभग दो महीनों तक जारी रहेगा और इस दौरान समूह 500 किलोग्राम का उत्पादन करेगा। इसमें 50000 रुपए बाजार मूल्य का कुल उत्पादन अपेक्षित है।

महिला समूह की सदस्यों ने अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह बहुत सुगम गतिविधि है और चुनने, धोने, पानी भरने और पैकेजिंग के लिए केवल 1-2 घंटे की दैनिक देखभाल की आवश्यकता होती है।

विपणन स्थानीय रूप से किया जाता है, मांग बहुत अधिक है और प्रदर्शन स्थल पर नकदी पर नए सिरे से बिक्री की जाती है।

स्थानीय आबादी स्थानीय रूप से उगाए गए बटन मशरूम का आनंद ले रही है, जिसकी खेती गांव में शायद पहली बार किसी महिला समूह द्वारा की गई है।

अतिरिक्त प्रधान मुख्य अरण्यपाल एवं मुख्य परियोजना निदेशक (जेआईसीए) प्रदेश वन पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन एवं आजीविका सुधार परियोजना नागेश गुलेरिया ने कहा कि महिलाओं के इस समूह द्वारा मशरूम उगाने का परीक्षण सफल रहा है।

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