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बसन्त पंचमी के अवसर पर वीरवार को हो रहा माँ सरस्वती पूजन

जोगिन्दरनगर : आप सभी को बसन्त पंचमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं. बसन्त पंचमी का त्यौहार इस वर्ष पूरे देश में 29 और 30 जनवरी को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. जोगिन्दरनगर क्षेत्र में भी इस अवसर पर हिमाचल शिक्षा समिति द्वारा संचालित सरस्वती उच्च विद्या मंदिर बालकरूपी, बिष्ट राम सुख सरस्वती उच्च विद्यालय भराड़ू, वज़ीर उत्तम सिंह राठौर सरस्वती उच्च विद्यालय सुखबाग व सरस्वती माध्यमिक विद्यालय टिकरू में वीरवार को हवन कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इस अवसर पर इन चारों विद्यालयों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी धूम रहेगी.

ऋतुओं का राजा है बसन्त

भारतीय गणना के अनुसार वर्ष भर में पड़ने वाली छह ऋतुओं (वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर) में वसंत को ऋतुराज अर्थात सभी ऋतुओं का राजा माना गया है। पंचमी से वसंत ऋतु का आगमन हो जाता है, इसलिए यह ऋतु परिवर्तन का दिन भी है. इस दिन से प्राकृतिक सौन्दर्य निखरना शुरू हो जाता है. वसंत पंचमी को विशेष रूप से सरस्वती जयंती के रूप में मनाया जाता है.

बसन्त कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, सृष्टि के रचनाकार भगवान ब्रह्मा ने जब संसार को बनाया तो पेड़-पौधों और जीव जन्तुओं सबकुछ दिख रहा था, लेकिन उन्हें किसी चीज की कमी महसूस हो रही थी. इस कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने कमंडल से जल निकालकर छिड़का तो सुंदर स्त्री के रूप में एक देवी प्रकट हुईं. उनके एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में पुस्तक थी. तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था. यह देवी थीं मां सरस्वती. मां सरस्वती ने जब वीणा बजाया तो संस्सार की हर चीज में स्वर आ गया। इसी से उनका नाम पड़ा देवी सरस्वती. यह दिन था बसंत पंचमी का. तब से देव लोक और मृत्युलोक में मां सरस्वती की पूजा होने लगी.

आज है श्रेष्ठ और शाश्त्र सम्मत

ज्योतिषविदों का मानना है कि गुरुवार को वसंत-पंचमी मनाना श्रेष्ठ और शास्त्र सम्मत होगा।वसंत पंचमी इस बार विशेष रूप से श्रेष्ठ है. वर्षों बाद ग्रह और नक्षत्रों की स्थिति इस दिन को खास बना रही है. पंडित त्रिपाठी के अनुसार इस बार तीन ग्रह खुद की ही राशि में रहेंगे। मंगल वृश्चिक में, बृहस्पति धनु में और शनि मकर राशि में रहेंगे। विवाह और अन्य शुभ कार्यों के लिए ये स्थिति बहुत शुभ मानी जाती है. पंडित विष्णु शास्त्री के अनुसार, पंचमी तिथि बुधवार सुबह 10.46 से शुरू होगी, जो गुरुवार दोपहर 1.20 तक रहेगी.

स्वंय सिद्धि मुहूर्त

वसंत पंचमी को मुहूर्त शास्त्र के अनुसार एक स्वयंसिद्धि मुहूर्त और अनसूज साया भी माना गया है अर्थात इस दिन कोई भी शुभ मंगल कार्य करने के लिए पंचांग शुद्धि की आवश्यकता नहीं होती। ज्योतिषविदों के अनुसार, इस दिन नींव पूजन, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, व्यापार आरम्भ करना, सगाई और विवाह आदि मंगल कार्य किए जा सकते हैं।

माँ सरस्वती पूजन मन्त्र : 1

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥

शुक्लाम् ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌॥
हस्ते स्फटिकमालिकाम् विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्‌।
वन्दे ताम् परमेश्वरीम् भगवतीम् बुद्धिप्रदाम् शारदाम्‌॥2॥

माँ सरस्वती पूजन मन्त्र : 2

सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी, विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु में सदा।

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