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एनईपी लागू करने वाला हिमाचल पहला बोर्ड, सीबीएसई को देगा टक्कर

School Education Board give scholarship 600 meritorious students

हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के प्रमुख पहलुओं को लागू करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम उठा रहा है। इस नीति के तहत शिक्षा प्रणाली में बड़े बदलाव किए जा रहे हैं।

इसमें कक्षा पहली से पांच तक के छात्रों को मातृभाषा में शिक्षा देने पर जोर, एक समग्र शिक्षा प्रणाली, डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा, और कौशल आधारित शिक्षा पर विशेष ध्यान रहेगा।

हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डा. राजेश शर्मा का कहना है कि परीक्षाओं में निष्पक्षता और एनईपी 2020 के प्रभावी कार्यांवयन के लिए बोर्ड ने प्रोसेस शुरू कर दिया है। इसके लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण देने सहित परीक्षा प्रणाली में भी कई परिवर्तन किए जा रहे हैं।

डा. शर्मा ने बताया कि मार्च, 2026 से, बोर्ड कक्षा दसवीं और 12वीं की परीक्षाओं के लिए समान प्रश्न पत्र पैटर्न शुरू किया जा रहा है।

वर्तमान में तीन श्रृंखला ए, बी, सी में प्रश्न पत्र तैयार किए जाते हैं, जिससे छात्रों के एक वर्ग के लिए अनुचित लाभ की स्थिति बन सकती है।

अब नए प्रारूप में केवल प्रश्न क्रम जंबलिंग में भिन्नता होगी, जिससे सभी श्रृंखलाओं में समान कठिनाई सुनिश्चित होंगी। डा. शर्मा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश, एनईपी 2020 के तहत राज्य स्कूल मानक निर्धारण प्राधिकरण के रूप में अधिसूचित होने वाला देश का पहला राज्य है।

बोर्ड ने राज्य भर के स्कूलों में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए स्कूल गुणवत्ता मूल्यांकन ढांचा भी तैयार किया है। इन फैसलों का उद्देश्य छात्रों को अधिक व्यावहारिक और समग्र शिक्षा देना है, जिससे वे जीवन में अच्छे निर्णय ले सकें और विभिन्न कौशल विकसित कर सकें।

इन सुधारों से हिमाचल प्रदेश, शिक्षा के क्षेत्र में अन्य राज्यों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन सकता है।

ओएमआर शीट में उत्तर देंगे विद्यार्थी
छात्रों को नीट, जेईई और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बेहतर ढंग से तैयार करने में मदद करने के लिए, अब सभी बोर्ड परीक्षा विषयों में 20 प्रतिशत प्रश्न बहुविकल्पीय प्रश्न तैयार करेगा।

छात्र इनके उत्तर ओएमआर शीट का उपयोग करके देंगे। एनईपी 2020 के कार्यांवयन के लिए बोर्ड ने डिजिटल होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड (माध्यमिक चरण) भी डिजाइन किया है, जो छात्रों की शैक्षणिक और सह-पाठयक्रम वृद्धि को व्यापक रूप से रिकॉर्ड और मूल्यांकन करेगा।

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