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रक्षाबंधन पर्व की आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

जोगिन्दरनगर : आप सभी को रक्षा बंधन पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं. इस बार भाई- बहन के प्रेम का पर्व रक्षाबंधन शनिवार को बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है.

हैप्पी रक्षाबंधन टू आल

नहीं है भद्रा का साया
इस बार रक्षाबंधन के अवसर पर भद्रा का साया नहीं है इसलिए राखी बंधवाने के लिए पूरा दिन उत्तम है।

शुभ समय
इस अवसर पर राखी बाँधने का शुभ समय सुबह 5 बजकर 47 मिनट पर शुरू होगा और दोपहर 1 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगा।

राहुकाल
इस दिन राहुकाल का समय सुबह 9 बजकर 7 मिनट से सुबह 10 बजकर 47 मिनट तक रहेगा।

ऐसे हुई थी रक्षाबंधन की शुरुआत
रक्षाबंधन से जुड़ी द्रौपदी और श्रीकृष्ण की कथा
रक्षाबंधन से जुड़ी इस कथा के अनुसार एक बार भगवान श्रीकृष्ण के हाथ में चोट लग गई थी जिससे लगातार खून बह रह था तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर श्रीकृष्ण की उंगली पर बांध दिया, जिससे उनका खून बहना रुक गया।

कहा जाता है कि इस घटना के बाद से ही रक्षासूत्र बांधने की परंपरा की शुरुआत हुई थी। कालांतर में यह त्योहार भाई-बहनों का त्योहार बन गया। आज के समय में बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी सुरक्षा की कामना करती हैं।

राखी से जुड़ी राजा बलि और माता लक्ष्मी की कथा
विष्णु पुराण के अनुसार जब भगवान विष्णु ने अपने वामन अवतार में राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी और उनका सारा राज्य ले लिया, तब बलि ने भगवान विष्णु को अपने साथ रहने का अनुरोध किया। तब माता लक्ष्मी ने बलि को राखी बांधकर उन्हें भाई बनाया और श्री हरि विष्णु भगवान को वापस वैकुंठ ले गईं।

रक्षाबंधन का ऐतिहासिक महत्व
ऐतिहासिक जनश्रुति के अनुसार रानी कर्णावती ने अपने राज्य पर हो रहे आक्रमण से रक्षा करने के लिए मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेजी थी और हुमायूं ने भी इसे स्वीकार कर रानी की रक्षा का वचन दिया था।

हालांकि, वह समय पर नहीं पहुंच सके और रानी कर्णावती ने जौहर कर लिया। लेकिन हुमायूं ने बाद में बहादुर शाह को हराया और विक्रमादित्य को मेवाड़ की गद्दी पर बैठाया।

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